राज्य के रेगिस्तानी जिले जैसलमेर में मानसून की बारिश राहत और खुशहाली का संकेत मानी जाती है, लेकिन यह खतरा भी लेकर आती है। वर्षों पुराने युद्ध के निशान बम, बारूदी सुरंगें और मोर्टार बम हर बारिश के साथ ज़मीन की सतह पर आने लगते हैं। इसे हल्के में लेना जानलेवा साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार खतरा और भी गंभीर है। मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीमावर्ती इलाकों में मिले जिंदा बमों ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और बढ़ा दी थी। पिछले वर्षों में भी जैसलमेर जिले में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं।
जैसलमेर क्षेत्र 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों में मुख्य युद्धभूमि रहा है। इस दौरान बारूदी सुरंगें बिछाई गईं, बम गिराए गए और युद्ध का गोला-बारूद रेगिस्तान की रेत में दब गया। समय के साथ ये विस्फोटक ज़मीन में दब गए, लेकिन बारिश और तूफ़ान के बाद जब रेत की परतें हटीं, तो ये सतह पर आने लगे। इनमें से ज़्यादातर विस्फोटक एंटी-पर्सनल माइंस होते हैं, जो किसी व्यक्ति के संपर्क में आते ही फट जाते हैं। ऐसे में ये सिर्फ़ सेना या सुरक्षा एजेंसियों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि ग्रामीणों, पशुपालकों, बच्चों और पर्यटकों के लिए भी जानलेवा हैं।
पिछले एक साल में यहाँ मिले
14 मार्च 2024: जैसलमेर रेलवे स्टेशन के पास बम मिला।
10 जुलाई 2024: जैसलमेर में सोनार दुर्ग के पास मोर्टार बम मिला।
27 जुलाई 2024: म्याजलार के पास एक खेत में एंटी-पर्सनल बारूदी सुरंग मिली।
8 अगस्त 2024: म्याजलार की ढाणी में हथगोला मिला।
11 अगस्त 2024: म्याजलार में तीन बम और एक बारूदी सुरंग मिली।
14 अगस्त 2024: म्याजलार इलाके में बारूदी सुरंग मिली।
ऑपरेशन सिंदूर से उठी नई चिंताएँ
मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, सेना और सुरक्षा एजेंसियों को जैसलमेर और पोखरण क्षेत्र में ज़िंदा बम मिले। 10 मई को पोखरण क्षेत्र के जेमला गाँव में एक मिसाइल मिली। बेलिया गाँव के पास कारतूस और एक बम मिला। भणियाणा के तेलीवाड़ा गाँव के पास एक बम मिला। 11 मई को पोहरा गाँव में एक ज़िंदा बम बरामद हुआ।
जागरूकता के ज़रिए राहत
स्थानीय प्रशासन और पुलिस जन जागरूकता अभियान चला रहे हैं। ग्रामीणों से किसी भी संदिग्ध वस्तु को न छूने और तुरंत पुलिस को सूचित करने को कहा गया है। ग्रामीणों की सतर्कता के कारण कई विस्फोटकों का समय पर पता चल पाया है, जिससे बड़ी दुर्घटनाएँ टल गई हैं।
सतर्क रहें, सतर्क रहें... तुरंत सूचना दें
बारिश और तेज़ हवाएँ रेत में दबे पुराने बम और बारूदी सुरंगों को सतह पर ला सकती हैं। ऐसे में सतर्कता ज़रूरी है। बच्चों और पशुपालकों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। आम जनता को बमों के पास जाने से बचना चाहिए और तुरंत नज़दीकी पुलिस स्टेशन को सूचित करना चाहिए। भय फैलने से रोकने के लिए तस्वीरें न लें और न ही उन्हें प्रसारित करें।
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