श्री गोपीनाथ मंदिर विवाद को लेकर चल रहा पुजारियों का पांच दिवसीय धरना रविवार, 2 नवंबर को समाप्त हो गया। पुजारी संघर्ष समिति ने मंदिर की भूमि और फर्जी पुजारी प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में पुलिस और प्रशासन पर मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाते हुए यह आंदोलन शुरू किया था।
पांच दिनों से चल रहा था विरोधमंदिर परिसर में पुजारियों द्वारा पांच दिन तक लगातार धरना दिया गया। इस दौरान उन्होंने मंदिर की संपत्ति की सुरक्षा और पारंपरिक पुजारी परिवारों के अधिकारों की बहाली की मांग की। पुजारियों ने कहा कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण मंदिर से जुड़ी कई जमीनें अवैध रूप से हस्तांतरित की जा रही हैं।
धरने के दौरान पुजारियों ने सरकार के नाम ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें फर्जी प्रमाण पत्र रद्द करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई।
पुजारियों का आरोप — मिलीभगत से जारी किए गए फर्जी प्रमाण पत्रपुजारी संघर्ष समिति के सदस्यों का कहना है कि कुछ व्यक्तियों ने प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी पुजारी प्रमाण पत्र तैयार करवाकर मंदिर की भूमि और दान संपत्ति पर कब्जे की कोशिश की। उन्होंने कहा कि असली पुजारी परिवारों को दरकिनार कर यह सब अवैध तरीके से किया जा रहा है।
एक पुजारी ने कहा, “हम पीढ़ियों से इस मंदिर में सेवा करते आ रहे हैं, लेकिन कुछ लोगों ने राजनीतिक दबाव बनाकर फर्जी दस्तावेज तैयार करवा लिए हैं। प्रशासन को सब कुछ पता होते हुए भी कार्रवाई नहीं की जा रही।”
पुलिस और प्रशासन के खिलाफ रोषधरने के दौरान पुजारियों ने पुलिस और प्रशासन पर निष्पक्ष जांच न करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। पुजारियों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे फिर से आंदोलन शुरू करेंगे।
अधिकारियों ने कही अपनी बातवहीं प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि मामले की जांच चल रही है और किसी भी व्यक्ति को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मंदिर की संपत्ति पर कब्जा नहीं करने दिया जाएगा।
 एसडीएम ने बताया कि सभी संबंधित दस्तावेजों की राजस्व विभाग और देवस्थान विभाग द्वारा जांच करवाई जा रही है।
रविवार को स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मध्यस्थता के बाद पुजारियों ने धरना समाप्त करने की घोषणा की। हालांकि उन्होंने साफ कहा कि जब तक मंदिर की भूमि और पुजारी प्रमाण पत्र से जुड़ी अनियमितताओं पर कार्रवाई नहीं होती, वे संघर्ष जारी रखेंगे।
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