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भारत, अमेरिका, इसराइल, चीन: किसके पास है कौन सा एयर डिफ़ेंस सिस्टम, कौन सा सबसे असरदार?

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image Getty Images रूस का बीयूके एम-3 एयर डिफ़ेंस सिस्टम (फ़ाइल फ़ोटो)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 'गोल्डन डोम' मिसाइल डिफेंस सिस्टम के एक डिजाइन को चुना है जो उनके मुताबिक़ 'भविष्य का मिसाइल डिफेंस सिस्टम' होगा. ट्रंप ने कहा कि उनके मौजूदा कार्यकाल के आख़िर तक ये सिस्टम काम करना शुरू कर देगा.

ट्रंप ने कहा है कि इसका लक्ष्य अमेरिका को 'अगली पीढ़ी' के हवाई ख़तरों से लड़ने में सक्षम बनाना है. इनमें बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के ख़तरों से निपटना भी शामिल है.

दुनिया के अलग-अलग देशों के पास अपना एयर डिफ़ेंस सिस्टम होता है, जो युद्ध के हालात में किसी भी देश की सुरक्षा के लिए काफ़ी अहम है.

इस कहानी में हम जानने की कोशिश करेंगे कि एयर डिफ़ेंस सिस्टम के मामले में भारत कहां खड़ा है और दुनिया के प्रमुख देशों के पास कौन-से एयर डिफ़ेंस सिस्टम मौजूद हैं.

एयर डिफ़ेंस सिस्टम क्या होता है? image Getty Images अप्रैल में अमेरिका और फ़िलिपीन्स के संयुक्त सैन्य अभ्यास के दौरान मैरिन्स एयर डिफ़ेंस इंटीग्रेटेड सिस्टम यानी एमएडीआईएस की क्षमता देखने को मिली

वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफ़ेंस सिस्टम) एक सैन्य तंत्र है जो दुश्मन के विमानों, मिसाइलों, ड्रोन और अन्य हवाई खतरों से किसी देश की वायुसीमा की सुरक्षा करता है.

यह प्रणाली रडार, सेंसर, मिसाइल, और गन सिस्टम का उपयोग करके हवाई ख़तरों का पता लगाती है, उन्हें ट्रैक करती है और उन्हें नष्ट करने के लिए जवाबी कार्रवाई करती है.

वायु रक्षा प्रणाली को एक जगह तैनात रखा जा सकता है या इसे एक जगह से दूसरी जगह भी ले जा सकते हैं. यह छोटे ड्रोन से लेकर बैलिस्टिक मिसाइल जैसे बड़े ख़तरों तक को रोकने में सक्षम होती है.

एयर डिफ़ेंस सिस्टम चार मुख्य हिस्सों में काम करता है. रडार और सेंसर दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और ड्रोन का पता लगाते हैं. कमांड एंड कंट्रोल सेंटर डेटा प्रोसेस कर प्राथमिकता तय करता है.

हथियार प्रणालियां ख़तरों को रोकती हैं, जबकि मोबाइल यूनिट्स तेजी से तैनाती में सक्षम होती हैं, जो इसे युद्धक्षेत्र में बेहद प्रभावी बनाती हैं.

अमेरिका का एयर डिफ़ेंस image AFP

अमेरिका अपने गोल्डन डोम सिस्टम पर 175 अरब डॉलर का ख़र्च कर रहा है. गोल्डन डोम सिस्टम के लिए अमेरिकी बजट में 25 अरब डॉलर की शुरुआती रकम निर्धारित की गई है.

अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका के पास जो मौजूदा डिफेंस सिस्टम है वो इसके संंभावित दुश्मनों के तेजी से बढ़ते आधुनिक हथियारों से बचाव के मामले में पिछड़ गया है.

ट्रंप ने बताया है कि नया मिसाइल डिफेंस सिस्टम ज़मीन, समुद्र और अंतरिक्ष में नई पीढ़ी की टेक्नोलॉजी से लैस होगा. इस सिस्टम के तहत अंतरिक्ष में ऐसे सेंसर और इंटसेप्टर होंगे जो इन हवाई हमलों के ख़तरों को रोक सकेंगे.

ये सिस्टम कुछ हद तक इसराइल के आयरन डोम से प्रेरित है. इसराइल साल 2011 से रॉकेट और मिसाइल हमलों को रोकने में इसका इस्तेमाल कर रहा है.

हालांकि गोल्डन डोम इससे काफ़ी बड़ा होगा और ये हाइपरसोनिक हथियारों समेत ज़्यादा व्यापक ख़तरों का सामना करने में सक्षम होगा.

ये ध्वनि की गति और फ्रैक्शनल ऑर्बिटल बॉम्बार्डमेंट सिस्टम्स यानी फोब्स से भी ज़्यादा तेज गति से जगह बदल सकेगा. फोब्स अंतरिक्ष से हथियार दाग सकता है.

ट्रंप ने बताया इस तरह के तमाम ख़तरों को हवा में ही ख़त्म किया जा सकेगा. इसकी सफलता दर लगभग सौ फ़ीसदी है.

फ़िलहाल अमेरिका के पास मौजूद थाड यानी टर्मिनल हाइ एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस मिसाइल सिस्टम को उसने कई सहयोगी देशों की सुरक्षा के लिए तैनात किया है. इनमें दक्षिण कोरिया, गुवाम और हैती भी शामिल हैं.

यह प्रणाली मध्यम रेंज की बैलेस्टिक मिसाइलों को उड़ान के शुरुआती दौर में ही गिराने में सक्षम है. इसकी टेक्नोलॉजी हिट टू किल है यानी यह सामने से आ रहे हथियार को रोकती नहीं बल्कि नष्ट कर देती है.

यह 200 किलोमीटर दूर तक और 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक मार करने में सक्षम है.

दुनियाभर के प्रमुख देशों के पास मौजूद एयर डिफ़ेंस सिस्टम पर बीबीसी संवाददाता चंदन कुमार जजवाड़े ने रक्षा विशेषज्ञ संजीव श्रीवास्तव से बात की.

संजीव श्रीवास्तव कहते हैं, "अमेरिका के पास थाड के अलावा एमआईएम 104 पैट्रिअट एयर डिफ़ेंस सिस्टम भी है, जिसकी ऑपरेशनल रेंज 170 किलोमीटर है."

उनका कहना है, "सभी देशों की कोशिश होती है कि वो हवाई हमलों के प्रति मल्टी लेयर सिक्योरिटी रखें. अमेरिका, जर्मनी और इटली के पास एमईए डिफ़ेंस सिस्टम भी है."

इसराइल का आयरन डोम image @IDF ईरान के ड्रोन को नष्ट करता इसराइल का एयर डिफ़ेंस सिस्टम

पिछले साल ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के बीच इसराइल का एंटी मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम 'आयरन डोम' सुर्खियों में रहा था.

हमास के साथ युद्ध के दौरान इसराइल ख़ुद को सुरक्षित रखने के लिए आयरम डोम सिस्टम का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करता रहा है. उसने ईरान के हमलों के दौरान भी इसका इस्तेमाल किया.

ईरान के दाग़े ज़्यादातर रॉकेट इसराइल की सुरक्षा शील्ड के कारण कर दिए गए. इसी सुरक्षा शील्ड का नाम आयरन डोम एंटी मिसाइल डिफेन्स सिस्टम है.

इसराइली अधिकारियों के मुताबिक़- ये तकनीक 90 प्रतिशत मामलों में कारगर साबित होती है. ये रॉकेट को रिहायशी इलाकों में ज़मीन पर गिरने से पहले ही मार गिराती है.

आयरन डोम एक बड़े मिसाइल डिफेंस सिस्टम का हिस्सा है, जिसे इसराइल ने लाखों डॉलर खर्च कर बनाया है.

ये सिस्टम ख़ुद से पता लगा लेता है कि मिसाइल रिहायशी इलाकों में गिरने वाली है या नहीं और कौन-सी मिसाइल अपने निशाने से चूक रही है.

सिर्फ वो मिसाइल जो रिहायशी इलाकों में गिरने वाली होती हैं, उन्हें ये सिस्टम बीच हवा में मार गिराता है. ये खूबी इस तकनीक को बेहद किफ़ायती बनाती है.

रक्षा विशेषज्ञ संजीव श्रीवास्तव के मुताबिक़ इसराइल के पास डेविड फ्लिंग नाम का एक एयर डिफ़ेंस सिस्टम भी है, जिसकी रेंज 70 से 300 किलोमीटर तक है.

image BBC आयरन डोम का विकास इसराइली कंपनी राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स और इसराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ ने अमेरिकी मदद से किया है

साल 2006 में इस्लामी समूह हिज़बुल्लाह से लड़ाई के बाद इसराइल ने इस तकनीक पर काम करना शुरू किया था.

कई सालों की रिसर्च के बाद साल 2011 में इस सिस्टम को टेस्ट किया गया. टेस्ट के दौरान दक्षिणी शहर बीरसेबा से दागे गए मिसाइलों को ये सिस्टम मार गिराने में कामयाब रहा था.

आयरन डोम की डिजाइन इस मक़सद से तैयार की गई है कि छोटी दूरी से किए गए हमलों से बचाव किया जा सके. ये किसी भी मौसम में काम करता है.

इसमें रडार लगा होता है जो उसके इलाके की तरफ़ बढ़ रहे रॉकेट या मिसाइल को रास्ते में ही ट्रैक कर सकता है.

आयरन डोम डिफेंस सिस्टम के यूनिट्स पूरे इसराइल में तैनात हैं. हरेक यूनिट्स में तीन से चार लॉन्च व्हीकल होते हैं जो 20 इंटरसेप्टर मिसाइलें दाग सकते हैं.

आयरन डोम डिफेंस सिस्टम किसी एक जगह पर स्थाई रूप से स्थापित करके भी ऑपरेट किया जा सकता है और इसे आसानी से कहीं ले जाया भी सकता है.

हालांकि कुछ जानकार मानते हैं कि यह सिस्टम पूरी तरह से मिसाइल प्रूफ नहीं है. उनका मानना है कि ये तकनीक फिलहाल ग़जा की तरफ से आने वाले रॉकेट को नष्ट कर देती है लेकिन भविष्य में मुमकिन है कि किसी दूसरे दुश्मन के ख़िलाफ़ ये उतनी कारगर साबित न हों.

भारत का एयर डिफ़ेंस सिस्टम- एस 400 image Getty Images भारत ने अमेरिका की नाराज़गी के बावजूद रूस से एस-400 ख़रीदा था

भारत के एयर डिफ़ेंस सिस्टम एस 400 को भारतीय सेना 'सुदर्शन चक्र' के नाम से संबोधित करती है.

भारत का एयर डिफ़ेंस सिस्टम अपनी कई परतों और सिस्टम में विविधता के लिए जाना जाता है. इसमें रूसी, इसराइली और स्वदेशी तकनीकों का मिश्रण है, जो इसे इसके पड़ोसी देशों की तुलना में अधिक प्रभावी बनाता है.

साल 2018 में भारत ने रूस से पांच एस-400 मिसाइल सिस्टम ख़रीदने के सौदे पर हामी भरी थी.

इसकी तुलना अमेरिका के बेहतरीन पैट्रिअट मिसाइल एयर डिफ़ेंस सिस्टम से होती है. भारत और रूस के बीच ये सौदा 5.43 अरब डॉलर में हुआ था.

एस-400 मोबाइल सिस्टम है यानी सड़क के ज़रिए इसे लाया-ले जाया सकता है. इसके बारे में कहा जाता है कि आदेश मिलते ही पांच से 10 मिनट के भीतर इसे तैनात किया जा सकता है.

संजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि एस-400 को मौजूदा समय में दुनिया का सबसे बेहतरीन एयर डिफ़ेंस सिस्टम कहा जा सकता है.

वो कहते हैं, "इसकी रेंज 400 किलोमीटर तक होती है. इसका रूस ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किया है जो काफ़ी कामयाब रहा है. इसे भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ हाल के संघर्ष में इस्तेमाल किया, जो काफ़ी सफल रहा."

चीन और पाकिस्तान का एयर डिफ़ेंस सिस्टम image Getty Images पाकिस्तान का दावा है कि उसके पास क्रूज़ और बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने की क्षमता है (फ़ाइल फ़ोटो)

पाकिस्तान के पास चीन में बने एचक्यू-9, एचक्यू-16 और एफ़एन-16 जैसे एयर डिफ़ेंस सिस्टम हैं. इनमें से एचक्यू-9 को साल 2021 में पाकिस्तान ने अपने हथियारों की लिस्ट में शामिल किया था. इसे रूस के एस-300 के बराबर माना जाता है.

ज़ाहिर चीन के पास भी ऐसे एयर डिफ़ेंस सिस्टम हैं, हालांकि संजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि चीन से मिले एचक्यू-9 सिस्टम हाल ही में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान नाकाम नज़र आए

उनका कहना है, "चीन के पास जो एयर डिफ़ेंस सिस्टम या हथियार हैं उनका युद्ध क्षेत्र में कभी इस्तेमाल नहीं हुआ है. यानी वह कितना सफल होगा इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है क्योंकि चीन ने जो आख़िरी युद्ध लड़ा था, वो साल 1978-79 में वियतनाम में लड़ा था."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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