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गट को सेकेंड ब्रेन क्यों कहा जाता है? AIIMS के डॉक्टरों ने समझाया पेट-दिमाग का रहस्य

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आज के विज्ञान और मेडिकल क्षेत्र में ‘गट’ यानी पेट को ‘सेकेंड ब्रेन’ के नाम से जाना जाने लगा है। इसके पीछे वैज्ञानिक आधार और विशेषज्ञों की मान्यताएं साफ़ हैं कि हमारा पेट और दिमाग न केवल आपस में जुड़ा हुआ है बल्कि एक-दूसरे को प्रभावित भी करते हैं। देश के प्रतिष्ठित संस्थान आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के डॉक्टरों ने इस कनेक्शन को विस्तार से समझाया है, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद अहम है।

गट को सेकेंड ब्रेन क्यों कहा जाता है?

हमारा पेट न केवल भोजन पचाने का कार्य करता है, बल्कि इसमें न्यूरॉन्स (तंत्रिकाएं) की एक जटिल नेटवर्क भी मौजूद है, जिसे एंटरिक नर्वस सिस्टम (ENS) कहा जाता है। यह नेटवर्क लगभग 5 करोड़ न्यूरॉन्स से बना है, जो दिमाग के समान सोचने और प्रतिक्रिया करने की क्षमता रखता है। यही वजह है कि पेट को ‘दूसरा दिमाग’ या ‘सेकेंड ब्रेन’ कहा जाता है।

पेट और दिमाग के बीच कैसे होता है संवाद?

AIIMS के न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर बताते हैं,
“गट और ब्रेन के बीच एक दोतरफा संवाद होता है। यह संवाद मुख्य रूप से वागस नर्व (Vagus nerve) के माध्यम से होता है, जो मस्तिष्क को पेट से सीधे जोड़ता है। इसका मतलब है कि पेट की स्थिति, उसमें मौजूद बैक्टीरिया, और पाचन प्रक्रिया का सीधा असर हमारे मूड, सोच और यहां तक कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।”

गट माइक्रोबायोम और मानसिक स्वास्थ्य

गट में पाए जाने वाले अरबों माइक्रोब्स यानी बैक्टीरिया हमारे शरीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन्हें मिलाकर गट माइक्रोबायोम कहा जाता है। ये न केवल भोजन पचाने में मदद करते हैं, बल्कि वे मस्तिष्क को सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर भी भेजते हैं, जो हमारे मनोदशा (मूड), तनाव और चिंता के स्तर को नियंत्रित करते हैं।

डॉ. कहती हैं,
“गट माइक्रोबायोम की असंतुलन से डिप्रेशन, एंग्जायटी, और कई मानसिक बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए पेट का स्वस्थ रहना केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है।”

गट और ब्रेन के बीच जटिल संबंध: क्या होता है प्रभावित?

तनाव और पेट के रोग:
तनाव की स्थिति में दिमाग से सिग्नल पेट तक पहुंचते हैं, जिससे एसिडिटी, गैस, और आंत्र रोग जैसे समस्याएं बढ़ जाती हैं।

मूड स्विंग्स:
गट के असंतुलन से मूड में बदलाव, चिड़चिड़ापन, और यहां तक कि डिप्रेशन हो सकता है।

अनिद्रा और थकान:
पेट की खराबी से नींद प्रभावित होती है, जिससे थकान और मानसिक कमजोरी होती है।

पेट और दिमाग को स्वस्थ रखने के उपाय

संतुलित आहार:
फाइबर से भरपूर सब्जियां, फल, और प्रोबायोटिक्स युक्त आहार लें। दही, छाछ, किमची जैसे प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थ गट को मजबूत करते हैं।

तनाव प्रबंधन:
योग, मेडिटेशन और गहरी सांस लेने की तकनीकें अपनाएं।

नियमित व्यायाम:
शारीरिक सक्रियता न केवल पेट बल्कि दिमाग के लिए भी फायदेमंद होती है।

पर्याप्त नींद:
अच्छी नींद गट और दिमाग दोनों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

डॉक्टर से परामर्श:
अगर बार-बार पेट में असुविधा या मानसिक तनाव महसूस हो तो विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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