1947 में भारत की आजादी के बाद डूरंड कप का आयोजन भारत में बंद करने और इसे पाकिस्तान का टूर्नामेंट बनाने की कोशिश हुई थी। लेकिन, तब के रक्षा सचिव एच.एम. पटेल की बदौलत ये टूर्नामेंट भारत का रहा और आज देश-दुनिया में भारतीय फुटबॉल की पहचान के रूप में प्रतिष्ठित है।
डूरंड कप से भारतीय फुटबॉल सीजन का आगाज होता है। ये टूर्नामेंट आईएसएल और आई-लीग क्लबों की तैयारी का महत्वपूर्ण माध्यम है। 2019 से डूरंड कप का आयोजन कोलकाता और पूर्वोत्तर राज्यों में होता है। इसकी वजह इन राज्यों में फुटबॉल का क्रेज है। महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात या दक्षिण के राज्य जो क्रिकेट में संपन्न हैं, फुटबॉल में कोलकाता और पूर्वोत्तर के राज्यों से पीछे हैं।
इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भारतीय क्लब और सशस्त्र बलों की टीमें भाग लेती हैं। पिछले सीजन 24 टीमों ने भाग लिया था। टूर्नामेंट ग्रुप स्टेज और फिर नॉकआउट आधार पर खेला जाता है।
डूरंड कप में कोलकाता की दो क्लबों, मोहन बागान और ईस्ट बंगाल का दबदबा रहा है। मोहन बागान ने 17 बार, तो ईस्ट बंगाल ने 16 बार डूरंड कप का खिताब जीता है। 2025 का 134वां संस्करण 23 जुलाई से 23 अगस्त तक 24 टीमों के बीच कोलकाता, जमशेदपुर, शिलांग, कोकराझार और गुवाहाटी में खेला गया था। फाइनल सॉल्ट लेक स्टेडियम, कोलकाता में खेला गया। नॉर्थईस्ट यूनाइटेड ने फाइनल में डायमंड हार्बर एफसी को 6-1 से हराकर खिताब जीता।
इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में भारतीय क्लब और सशस्त्र बलों की टीमें भाग लेती हैं। पिछले सीजन 24 टीमों ने भाग लिया था। टूर्नामेंट ग्रुप स्टेज और फिर नॉकआउट आधार पर खेला जाता है।
Also Read: LIVE Cricket Scoreदेश का यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट फुटबॉल के क्षेत्र में करियर बनाने का सपना देखने वाले खिलाड़ियों के लिए एक बड़ा और जरूरी मंच है। डूरंड कप में बेहतर प्रदर्शन क्लब और सेना की टीमों के लिए खेलने वालों के लिए राष्ट्रीय टीम के दरवाजे खोलता है।
Article Source: IANSYou may also like

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