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बीमा पर सरकार जब GST खत्म करना चाहती हैं फिर भी क्यों हो रहा विरोध, क्या है बीमा कंपनियों को परेशानी ?

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लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि जीएसटी से जनता को और राहत दी जाएगी। इसके बाद जीएसटी रिफॉर्म के लिए मंत्रियों के समूह के द्वारा इंश्योरेंस प्रोडक्ट पर जीएसटी को जीरो करने के लिए भी मंजूरी दे दी गई है। अभी बीमा प्रोडक्ट के प्रीमियम पर 18% ka जीएसटी लगता है। सरकार के इस फैसले से जानता तो खुश है, लेकिन बीमा कंपनियां नाराज हैं। चलिए जानते हैं आखिर बीमा कंपनियां क्यों इसका विरोध कर रही है?



बढ़ जाएगा खर्च?बीमा प्रोडक्ट पर जीएसटी शून्य करने के बारे में बीमा कंपनियों का कहना है कि इससे उनके खर्चे में वृद्धि होगी। यदि बीमा कंपनियों को उनके एक्सपेंस के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा तो यदि सरकार के द्वारा जीएसटी की दर कम कर भी दी गई तो भी इसका सीधा लाभ ग्राहकों को नहीं मिलेगा।

बीमा कंपनियों के विरोध के पीछे का मुख्य कारण यह है कि यदि किसी प्रोडक्ट या सर्विस पर जीएसटी खत्म कर दिया जाता है तो उस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलता है। इनपुट टैक्स क्रेडिट उन चीजों से वसूला जाता है जैसे किसी प्रोडक्ट के शुरुआत में उस पर ज्यादा टैक्स लगा हो और जब प्रोडक्ट तैयार हो जाता है तब कम लगा हो। ज्यादा टैक्स को सरकार के द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट के माध्यम से समायोजित किया जाता है?

बीमा कंपनियों का यह भी कहना है कि अभी उन्हें कुछ सेवाओं पर ज्यादा टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। जिसकी लागत वे इनपुट टैक्स क्रेडिट के माध्यम से कम कर लेती हैं। लेकिन जब जीएसटी शून्य हो जाएगा तो इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा और ऐसे में इन टैक्स का समायोजन भी नहीं हो पाएगा।



कुछ राज्यों की सरकारी भी कर रही विरोधहेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर 18% का जीएसटी वसूला जाता है जिसका लाभ केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को भी होता है। अब यदि जीएसटी की दरों में कटौती की जाएगी तो सरकारों के राजस्व में भी कमी आ जाएगी।

इस मामले पर जानकारी रखने वाले कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने जीएसटी की दरों को शून्य करने की बजाए 5% कर देनी चाहिए। इससे ग्राहकों का भी बोझ कम होगा और बीमा कंपनियों को भी इनपुट टैक्स क्रेडिट के समायोजन का लाभ मिल जाएगा।

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