बीते 12 महीनों में भारतीय शेयर बाजार में कुछ खास हलचल नहीं रही। सेंसेक्स ने केवल -0.7% रिटर्न दिया और बाकी वैश्विक बाजारों से पीछे रह गया। विदेशी निवेशकों (FPI) ने करीब ₹1.4 लाख करोड़ की बिकवाली की, जिससे बाजार पर दबाव बना रहा। वहीं कंपनियों की आय भी उम्मीद से कम रही। माँग में सुस्ती और लागत में बढ़त ने मुनाफा घटाया। इसके बावजूद SIP में निवेश कायम है, जो बाजार को गिरावट से बचा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि फिलहाल उतार-चढ़ाव बना रहेगा, लेकिन सरकार और RBI के कदम बाजार में जान डाल सकते हैं।
बाजार में गिरावट की दो बड़ी वजह
पिछले एक साल में भारतीय शेयर बाजार के खराब प्रदर्शन की दो बड़ी वजहें रहीं है। एक, विदेशी निवेशकों का पैसा निकालना और दूसरी, कंपनियों की कमज़ोर कमाई। विदेशी निवेशक यानी FPI भारत से पैसा निकालकर अमेरिका और दूसरे मजबूत देशों में लगा रहे हैं, क्योंकि वहाँ उन्हें बेहतर मुनाफा मिल रहा है। साथ ही, रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गया है, जिससे विदेशी निवेशकों को नुकसान का डर और बढ़ गया है। इस वजह से 2025 में अब तक करीब ₹1.4 लाख करोड़ की बिक्री हुई है, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा हुआ है।
दूसरी ओर, कंपनियों की कमाई भी उम्मीद से कम रही। Nifty 50 की ज़्यादातर कंपनियों की आय सिर्फ 5 से 7% तक ही बढ़ी। कच्चे माल की कीमतें बढ़ीं और माँग में भी कोई तेजी नहीं आई, जिससे कंपनियों के मुनाफेपर काफी गहराअसर पड़ा। इसके अलावा, शेयर पहले से ही बहुत महँगे हो गए थे। जब कमाई नहीं बढ़ी और शेयर महँगे बने रहे, तो निवेशकों को फायदा नहीं हुआ। अब बाजार सिर्फ उम्मीदों पर नहीं, बल्कि असली कमाई पर चल रहा है
शेयर बाजार का हाल और भविष्य की उम्मीदें"
सेंसेक्स ने पिछले 12 महीनों में -0.7% का रिटर्न दिया है और विदेशी निवेशकों (FPI) ने ₹1.4 लाख करोड़ से अधिक का पैसा बाजार से निकाल लिया है, जिससे बाजार पर दबाव बना हुआ है। भारतीय बाजार वैश्विक बाजारों की तुलना में कमजोर प्रदर्शन कर रहा है। सरकार के खर्च में कमी और अमेरिका के साथ चल रहे व्यापार तनाव जैसे नीतिगत और राजनीतिक कारण भी बाजार को प्रभावित कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में RBI ब्याज दरें कम कर सकता है और सरकार पूंजीगत खर्च बढ़ा सकती है, जिससे बाजार में सुधार आने की उम्मीद है। फिलहाल बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकते हैं, लेकिन दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह अवसर भी हो सकता है।
देश के आम निवेशक बने बाजार की ताकत
जब विदेशी निवेशक (FPI) भारत से पैसा निकाल रहे हैं, तब हमारे देश के आम लोगों ने शेयर बाजार में भरोसा बनाए रखा है। ये लोग SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के ज़रिए हर महीने थोड़ी-थोड़ी बचत निवेश कर रहे हैं। SIP की सबसे बड़ी खासियत ये है कि जब बाजार गिरता है, तो कम दाम पर ज़्यादा यूनिट मिलती हैं। इससे लंबे समय में अच्छा फायदा होता है। इसी लगातार निवेश ने बाजार को बड़ी गिरावट से बचा लिया है।अब लोगों को उम्मीद है कि सरकार और RBI कुछ ऐसे कदम उठाएँगे जिससे बाजार को सहारा मिल सके। माना जा रहा है कि आने वाले 2-3 महीनों में RBI ब्याज दरें कम कर सकता है। इससे लोन सस्ते हो जाएँगे और कारोबारों को फायदा होगा। वहीं सरकार से उम्मीद है कि वो सड़क, रेल जैसे कामों में ज़्यादा पैसा लगाएगी, जिससे अर्थव्यवस्था तेज़ चलेगी और बाजार को नई ऊर्जा मिलेगी।
बाजार के जानकार भी मानते हैं कि अब बाजार तेजी में नहीं, बल्कि सच्चाई पर चलेगा। एक्सिस सिक्योरिटीज़ के नीरज चदावर कहते हैं।अब बाजार फालतू उम्मीदों पर नहीं, असली कमाई पर चलेगा।" कोटक सिक्योरिटीज़ के श्रीकांत चौहान मानते हैं, "अगर सरकार और RBI ने सही समय पर कदम उठाए, तो बाजार फिर से संभल सकता है।" सैमको म्यूचुअल फंड के उमेश मेहता कहते हैं, "तेज़ मुनाफे के बाद थोड़ा मंदा दौर आना आम बात है – यही बाजार का तरीका है।
अब क्या करें निवेशक? : फिलहाल बाजार स्थिर या थोड़ा नीचे है, लेकिन ये निवेशकों के लिए मौका भी हो सकता है – खासकर SIP करने वालों के लिए। भारत की लंबी अवधि की विकास कहानी मज़बूत बनी हुई है। अगर आप शॉर्ट टर्म नहीं, बल्कि लॉन्ग टर्म सोचते हैं, तो ऐसे दौर में भी निवेश करना फायदेमंद साबित हो सकता है।
(अस्वीकरण : विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये द इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)
बाजार में गिरावट की दो बड़ी वजह
पिछले एक साल में भारतीय शेयर बाजार के खराब प्रदर्शन की दो बड़ी वजहें रहीं है। एक, विदेशी निवेशकों का पैसा निकालना और दूसरी, कंपनियों की कमज़ोर कमाई। विदेशी निवेशक यानी FPI भारत से पैसा निकालकर अमेरिका और दूसरे मजबूत देशों में लगा रहे हैं, क्योंकि वहाँ उन्हें बेहतर मुनाफा मिल रहा है। साथ ही, रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हो गया है, जिससे विदेशी निवेशकों को नुकसान का डर और बढ़ गया है। इस वजह से 2025 में अब तक करीब ₹1.4 लाख करोड़ की बिक्री हुई है, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा हुआ है।
दूसरी ओर, कंपनियों की कमाई भी उम्मीद से कम रही। Nifty 50 की ज़्यादातर कंपनियों की आय सिर्फ 5 से 7% तक ही बढ़ी। कच्चे माल की कीमतें बढ़ीं और माँग में भी कोई तेजी नहीं आई, जिससे कंपनियों के मुनाफेपर काफी गहराअसर पड़ा। इसके अलावा, शेयर पहले से ही बहुत महँगे हो गए थे। जब कमाई नहीं बढ़ी और शेयर महँगे बने रहे, तो निवेशकों को फायदा नहीं हुआ। अब बाजार सिर्फ उम्मीदों पर नहीं, बल्कि असली कमाई पर चल रहा है
शेयर बाजार का हाल और भविष्य की उम्मीदें"
सेंसेक्स ने पिछले 12 महीनों में -0.7% का रिटर्न दिया है और विदेशी निवेशकों (FPI) ने ₹1.4 लाख करोड़ से अधिक का पैसा बाजार से निकाल लिया है, जिससे बाजार पर दबाव बना हुआ है। भारतीय बाजार वैश्विक बाजारों की तुलना में कमजोर प्रदर्शन कर रहा है। सरकार के खर्च में कमी और अमेरिका के साथ चल रहे व्यापार तनाव जैसे नीतिगत और राजनीतिक कारण भी बाजार को प्रभावित कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में RBI ब्याज दरें कम कर सकता है और सरकार पूंजीगत खर्च बढ़ा सकती है, जिससे बाजार में सुधार आने की उम्मीद है। फिलहाल बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकते हैं, लेकिन दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह अवसर भी हो सकता है।
देश के आम निवेशक बने बाजार की ताकत
जब विदेशी निवेशक (FPI) भारत से पैसा निकाल रहे हैं, तब हमारे देश के आम लोगों ने शेयर बाजार में भरोसा बनाए रखा है। ये लोग SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के ज़रिए हर महीने थोड़ी-थोड़ी बचत निवेश कर रहे हैं। SIP की सबसे बड़ी खासियत ये है कि जब बाजार गिरता है, तो कम दाम पर ज़्यादा यूनिट मिलती हैं। इससे लंबे समय में अच्छा फायदा होता है। इसी लगातार निवेश ने बाजार को बड़ी गिरावट से बचा लिया है।अब लोगों को उम्मीद है कि सरकार और RBI कुछ ऐसे कदम उठाएँगे जिससे बाजार को सहारा मिल सके। माना जा रहा है कि आने वाले 2-3 महीनों में RBI ब्याज दरें कम कर सकता है। इससे लोन सस्ते हो जाएँगे और कारोबारों को फायदा होगा। वहीं सरकार से उम्मीद है कि वो सड़क, रेल जैसे कामों में ज़्यादा पैसा लगाएगी, जिससे अर्थव्यवस्था तेज़ चलेगी और बाजार को नई ऊर्जा मिलेगी।
बाजार के जानकार भी मानते हैं कि अब बाजार तेजी में नहीं, बल्कि सच्चाई पर चलेगा। एक्सिस सिक्योरिटीज़ के नीरज चदावर कहते हैं।अब बाजार फालतू उम्मीदों पर नहीं, असली कमाई पर चलेगा।" कोटक सिक्योरिटीज़ के श्रीकांत चौहान मानते हैं, "अगर सरकार और RBI ने सही समय पर कदम उठाए, तो बाजार फिर से संभल सकता है।" सैमको म्यूचुअल फंड के उमेश मेहता कहते हैं, "तेज़ मुनाफे के बाद थोड़ा मंदा दौर आना आम बात है – यही बाजार का तरीका है।
अब क्या करें निवेशक? : फिलहाल बाजार स्थिर या थोड़ा नीचे है, लेकिन ये निवेशकों के लिए मौका भी हो सकता है – खासकर SIP करने वालों के लिए। भारत की लंबी अवधि की विकास कहानी मज़बूत बनी हुई है। अगर आप शॉर्ट टर्म नहीं, बल्कि लॉन्ग टर्म सोचते हैं, तो ऐसे दौर में भी निवेश करना फायदेमंद साबित हो सकता है।
(अस्वीकरण : विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये द इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)
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