भारत में कुछ सरकारी कंपनियों को विशेष दर्जा दिया जाता है, जिन्हें महारत्न और नवरत्न कहा जाता है. ये केवल नाम नहीं, बल्कि कंपनियों की ताकत, प्रदर्शन और अर्थव्यवस्था में योगदान की पहचान हैं. इन कंपनियों को ज्यादा स्वतंत्रता मिलती है, जिससे वे बड़ी योजनाओं और निवेशों में बिना बार-बार सरकार की मंजूरी लिए निर्णय ले सकती हैं.
नवरत्न कंपनियां क्या हैं?नवरत्न यानी “नौ रत्न” कंपनियां वे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां हैं जो अपने प्रदर्शन और वित्तीय स्थिरता के लिए जानी जाती हैं.इन कंपनियों को प्रति प्रोजेक्ट ₹1,000 करोड़ तक निवेश करने की स्वतंत्रता होती है.
कैसे मिलता है नवरत्न कंपनियों का दर्जा ?कंपनी को पहले मिनिरत्न-I का दर्जा मिलना चाहिए और उसका नेटवर्थ पॉजिटिव होना चाहिए.
पिछले 5 साल में कम से कम तीन बार “उत्कृष्ट” या “बहुत अच्छा” एमओयू रेटिंग प्राप्त करनी चाहिए.
प्रदर्शन के कुछ मानकों में कुल मिलाकर 60 या उससे अधिक अंक होने चाहिए.
नवरत्न कंपनियों को यह दर्जा मिलने से वे तेजी से निर्णय ले सकती हैं और बाजार की बदलती परिस्थितियों के अनुसार काम कर सकती हैं.
महारत्न कंपनियां क्या हैं?महारत्न का अर्थ है “महान रत्न” ये भारत की सबसे बड़ी और सफल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां हैं.
कैसे मिलता है महारत्न कंपनियों का दर्जा ?पहले नवरत्न का दर्जा होना जरूरी है. पिछले 3 साल का औसत वार्षिक शुद्ध लाभ ₹5,000 करोड़ से अधिक होना चाहिए.
औसत वार्षिक टर्नओवर ₹25,000 करोड़ या नेटवर्थ ₹15,000 करोड़ से अधिक होना चाहिए.
इसके अलावा कंपनी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालन होना चाहिए.
भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होना चाहिए और नियमानुसार सार्वजनिक हिस्सेदारी पूरी करनी चाहिए.
महारत्न कंपनियों को प्रति प्रोजेक्ट ₹5,000 करोड़ तक निवेश करने की अनुमति मिलती है, जो नवरत्न कंपनियों से भी ज्यादा स्वतंत्रता देती है.
इसके क्या फायदे है?महारत्न और नवरत्न कंपनियों को यह दर्जा मिलने से कई फायदे होते हैं.
वित्तीय स्वतंत्रताकंपनियां बड़ी योजनाओं और निवेशों में बिना बार-बार सरकार की मंजूरी के निर्णय ले सकती हैं.
स्वतंत्रताये कंपनियां विदेशी शाखाओं की स्थापना कर सकती हैं.
प्रतिष्ठाइस दर्जे से कंपनी की विश्वसनीयता बढ़ती है और निवेशकों तथा सहयोगियों को आकर्षित करती है.
प्रतिस्पर्धात्मक क्षमताअधिक स्वतंत्रता से ये कंपनियां घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं.
रणनीतिक निर्णयबोर्ड को पूंजी व्यय, विलय, अधिग्रहण और मानव संसाधन प्रबंधन में अधिक अधिकार मिलते हैं.
भारत में इन कंपनियों की निगरानी पब्लिक एंटरप्राइजेज विभाग (DPE) करता है. DPE नीतियों का निर्माण, प्रदर्शन मूल्यांकन, वित्तीय मार्गदर्शन और मंत्रालयों के साथ समन्वय सुनिश्चित करता है.
बता दें कि 2024 तक भारत में 13 महारत्न, 25 नवरत्न और 62 मिनिरत्न कंपनियां हैं. ये कंपनियां वित्तीय स्वतंत्रता, संचालन में लचीलापन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की क्षमता प्राप्त करती हैं. इनके योगदान से भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है.
महारत्न और नवरत्न कंपनियां दिखाती हैं कि जब सरकारी कंपनियों को सही दिशा, संसाधन और स्वतंत्रता मिलती है, तो वे देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं.
नवरत्न कंपनियां क्या हैं?नवरत्न यानी “नौ रत्न” कंपनियां वे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां हैं जो अपने प्रदर्शन और वित्तीय स्थिरता के लिए जानी जाती हैं.इन कंपनियों को प्रति प्रोजेक्ट ₹1,000 करोड़ तक निवेश करने की स्वतंत्रता होती है.
कैसे मिलता है नवरत्न कंपनियों का दर्जा ?कंपनी को पहले मिनिरत्न-I का दर्जा मिलना चाहिए और उसका नेटवर्थ पॉजिटिव होना चाहिए.
पिछले 5 साल में कम से कम तीन बार “उत्कृष्ट” या “बहुत अच्छा” एमओयू रेटिंग प्राप्त करनी चाहिए.
प्रदर्शन के कुछ मानकों में कुल मिलाकर 60 या उससे अधिक अंक होने चाहिए.
नवरत्न कंपनियों को यह दर्जा मिलने से वे तेजी से निर्णय ले सकती हैं और बाजार की बदलती परिस्थितियों के अनुसार काम कर सकती हैं.
महारत्न कंपनियां क्या हैं?महारत्न का अर्थ है “महान रत्न” ये भारत की सबसे बड़ी और सफल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां हैं.
कैसे मिलता है महारत्न कंपनियों का दर्जा ?पहले नवरत्न का दर्जा होना जरूरी है. पिछले 3 साल का औसत वार्षिक शुद्ध लाभ ₹5,000 करोड़ से अधिक होना चाहिए.
औसत वार्षिक टर्नओवर ₹25,000 करोड़ या नेटवर्थ ₹15,000 करोड़ से अधिक होना चाहिए.
इसके अलावा कंपनी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालन होना चाहिए.
भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होना चाहिए और नियमानुसार सार्वजनिक हिस्सेदारी पूरी करनी चाहिए.
महारत्न कंपनियों को प्रति प्रोजेक्ट ₹5,000 करोड़ तक निवेश करने की अनुमति मिलती है, जो नवरत्न कंपनियों से भी ज्यादा स्वतंत्रता देती है.
इसके क्या फायदे है?महारत्न और नवरत्न कंपनियों को यह दर्जा मिलने से कई फायदे होते हैं.
वित्तीय स्वतंत्रताकंपनियां बड़ी योजनाओं और निवेशों में बिना बार-बार सरकार की मंजूरी के निर्णय ले सकती हैं.
स्वतंत्रताये कंपनियां विदेशी शाखाओं की स्थापना कर सकती हैं.
प्रतिष्ठाइस दर्जे से कंपनी की विश्वसनीयता बढ़ती है और निवेशकों तथा सहयोगियों को आकर्षित करती है.
प्रतिस्पर्धात्मक क्षमताअधिक स्वतंत्रता से ये कंपनियां घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं.
रणनीतिक निर्णयबोर्ड को पूंजी व्यय, विलय, अधिग्रहण और मानव संसाधन प्रबंधन में अधिक अधिकार मिलते हैं.
भारत में इन कंपनियों की निगरानी पब्लिक एंटरप्राइजेज विभाग (DPE) करता है. DPE नीतियों का निर्माण, प्रदर्शन मूल्यांकन, वित्तीय मार्गदर्शन और मंत्रालयों के साथ समन्वय सुनिश्चित करता है.
बता दें कि 2024 तक भारत में 13 महारत्न, 25 नवरत्न और 62 मिनिरत्न कंपनियां हैं. ये कंपनियां वित्तीय स्वतंत्रता, संचालन में लचीलापन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की क्षमता प्राप्त करती हैं. इनके योगदान से भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है.
महारत्न और नवरत्न कंपनियां दिखाती हैं कि जब सरकारी कंपनियों को सही दिशा, संसाधन और स्वतंत्रता मिलती है, तो वे देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं.
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