भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो की मूल कंपनी इंटरग्लोब एविएशन के सह-संस्थापक राकेश गंगवाल और उनके पारिवारिक ट्रस्ट ने मंगलवार को एक बड़ी ब्लॉक डील की। इस डील के जरिए उन्होंने इंडिगो में अपनी 5.7% की हिस्सेदारी बेच दी। यह ब्लॉक डील 1159 करोड़ रुपये में हुई। इस खबर के बाहर आते ही शेयर बाजार में हलचल मच गई है। इंडिगो के शेयर्स में 2.08% की गिरावट दर्ज हुई। इंडिगो ब्लॉक डील की जानकारी राकेश गंगवाल और उनके चिंकरपू फैमिली ट्रस्ट ने एयरलाइन कंपनी इंडिगो के करीब 2.21 करोड़ शेयर बेचे, जो कंपनी की कुल हिस्सेदारी के लगभग 5.7% हैं। यह बिक्री 5,230.50 रुपये प्रति शेयर के भाव पर हुई। इस डील में गोल्डमैन सैक्स (इंडिया) सिक्योरिटीज, मॉर्गन स्टेनली इंडिया और जेपी मॉर्गन इंडिया प्लेसमेंट एजेंट थे। इस ब्लॉक डील के पहले राकेश गंगवाल और उनके चिंकरपू फैमिली ट्रस्ट के पास एयरलाइन कंपनी इंडिगो में लगभग 13.5% की हिस्सेदारी थी। इंडिगो से धीरे-धीरे बाहर निकल रहे राकेश गंगवाल साल 2006 में राकेश गंगवाल और राहुल भाटिया ने मिलकर इंडिगो एयरलाइंस की स्थापना की थी। साल 2022 में राकेश गंगवाल ने कंपनी के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा था कि वे अगले 5 साल में अपने हिस्सेदारी धीरे-धीरे कम कर लेंगे। आज हुई ब्लॉक डील भी इस घोषणा का हिस्सा है। फरवरी 2022 से ही गंगवाल और उनकी पत्नी एयरलाइन कंपनी में अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे कम कर रहे हैं। सितंबर 2022 में गंगवाल और उनकी पत्नी शोभा गंगवाल ने 2.74 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची थी। इसके बाद फरवरी 2023 में शोभा गंगवाल ने 4% हिस्सेदारी बेची थी। इसी साल अगस्त महीने में 2.9% हिस्सेदारी बेची थी। अगस्त 2024 में गंगवाल के पारिवारिक ट्रस्ट ने 5.24 प्रतिशत हिस्सेदारी 9549 करोड रुपए में बेची थी। पिछले काफी समय से गंगवाल पारिवारिक ट्रस्ट इंडिगो एयरलाइन में अपनी हिस्सेदारी कम कर रहा है। ब्लॉक डील का इंडिगो के शेयर पर असर इंडिगो के सह-संस्थापक राकेश गंगवाल की 11,559 करोड़ रुपये की ब्लॉक डील ने शेयर बाजार में खलबली मचा दी है। मंगलवार को इंडिगो के शेयर में गिरावट देखी गई। एनएसई पर शेयर 2.08% की गिरावट के साथ 5,307 रुपये पर बंद हुए। साल 2025 की शुरुआत से लेकर अब तक इस स्टॉक ने 15.48 % की बढ़ोतरी दर्ज की है। इंडिगो में हिस्सेदारी बेचने का यह है असल कारणसाल 2022 में राकेश गंगवाल और इंडिगो एयरलाइंस के सह संस्थापक राहुल भाटिया के बीच कॉरपोरेट गवर्नेंस और लेनदेन को लेकर कुछ मतभेद हुए थे। इसके बाद गंगवाल ने यह घोषणा की थी कि वह धीरे-धीरे इंडिगो में अपने हिस्सेदारी कम करेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि यह गंगवाल के दीर्घकालीन एग्जिट प्लान का हिस्सा है, जिसमें वे और उनके परिवार धीरे-धीरे कंपनी से बाहर निकल रहे हैं।
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