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हिंदी भाषियों के खिलाफ बढ़ती नफरत: एनसीआईबी ने मांगी मदद

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हिंदी विरोध की बढ़ती घटनाएं

नई दिल्ली: फीजी में 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन चल रहा है, जबकि भारत में हिंदी के प्रति नफरत की राजनीति को बढ़ावा दिया जा रहा है। दक्षिण भारत में हिंदी भाषियों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं। एक ऐसा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिस पर राष्ट्रीय अपराध अन्वेषण ब्यूरो (NCIB) ने ध्यान दिया है। एनसीआई ने ट्विटर पर इस वीडियो को साझा करते हुए लोगों से अपील की है कि यदि किसी को इस हिंसा में शामिल व्यक्ति के बारे में जानकारी हो, तो वह तुरंत सूचित करें।


वीडियो में दिखी हिंसा

एनसीआईबी द्वारा जारी वीडियो एक ट्रेन के अंदर का है, जिसमें एक युवक ‘हिंदी’ कहते हुए दो लड़कों पर हमला करता हुआ दिखाई दे रहा है। वह लड़कों के कॉलर पकड़कर उन्हें खींचता है और उन पर मुक्के बरसाता है। एनसीआईबी ने इस वीडियो के साथ लिखा है कि यह घटना दक्षिण भारत के किसी क्षेत्र की है, जहां एक व्यक्ति हिंदी बोलने के कारण उत्तर भारतीयों के साथ मारपीट कर रहा है। उन्होंने इस युवक की पहचान के लिए वॉट्सऐप नंबर पर जानकारी मांगी है।


हिंदी विरोध की राजनीति का प्रभाव

तमिलनाडु में हिंदी विरोधी राजनीति की एक पुरानी परंपरा है, जहां द्रविड़ राजनीति करने वाली पार्टियां, विशेषकर सत्ताधारी डीएमके, हिंदी का विरोध करती हैं। इसका प्रभाव समाज के एक हिस्से में नफरत की भावना को बढ़ा रहा है। दक्षिण के अन्य राज्यों में भी हिंदी विरोध की बातें होती हैं, लेकिन तमिलनाडु में यह अधिक स्पष्ट है। विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा कि दक्षिण भारत में हिंदी के प्रति नफरत नहीं है, बल्कि इसे राजनीतिक कारणों से पैदा किया जाता है।


सामाजिक एकता की आवश्यकता

वीडियो में दिख रहे युवक के बारे में जानकारी देने की अपील की गई है ताकि उचित कार्रवाई की जा सके। इस तरह की नफरत को समाप्त करने के लिए जरूरी है कि हम उन लोगों पर नियंत्रण रखें जो इसे बढ़ावा देते हैं। नेताओं को भी अपनी विभाजनकारी राजनीति पर विचार करने की आवश्यकता है। एक समाज के रूप में हमें इन सत्तापरस्त नेताओं के बहकावे में नहीं आना चाहिए, तभी हम नफरत की भावना पर काबू पा सकेंगे।


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