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वास्तु शास्त्र के अनुसार भोजन करने के सही तरीके और दिशा

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भोजन के लिए दिशा का महत्व

वास्तु शास्त्र में दिशाओं, घर की संरचना और दैनिक आदतों का विशेष महत्व है। सही दिशा में किया गया हर कार्य सुख, शांति और समृद्धि को बढ़ाता है, जबकि गलत दिशा में किया गया कार्य नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। भोजन करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है, अन्यथा मां लक्ष्मी जी नाराज हो सकती हैं और घर में दरिद्रता का वास हो सकता है।


भोजन करने की सही दिशा
  • दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन न करें
    • दक्षिण दिशा को यम का स्थान माना जाता है।
    • इस दिशा में भोजन करने से आयु में कमी और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके भोजन करना शुभ है
    • ये दिशाएं देवताओं की मानी जाती हैं।
    • इस दिशा में भोजन करने से मां लक्ष्मी का वास और धन-समृद्धि बढ़ती है।

भोजन करने का तरीका (वास्तु अनुसार)
  • भोजन करते समय सिर को न ढकें।
  • जूते-चप्पल उतारकर ही खाना खाएं।
  • बिस्तर पर बैठकर भोजन करने से बचें, इससे धन हानि और कर्ज बढ़ने का खतरा होता है।

भोजन करने की सही जगह
  • किचन में या उसके पास बैठकर भोजन करना शुभ माना जाता है।
  • जगह साफ-सुथरी और शांतिपूर्ण होनी चाहिए।
  • थाली में केवल उतना ही भोजन लें, जितना खा सकें — भोजन बर्बाद करना अशुभ माना गया है।

भोजन से पहले की तैयारी
  • भोजन करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • टूटे-फूटे बर्तनों में भोजन न करें।
  • जमीन पर हाथ रखकर भोजन करना भी अशुभ माना जाता है।

निष्कर्ष

सही दिशा में और वास्तु नियमों का पालन करते हुए भोजन करना न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह घर में मां लक्ष्मी और मां अन्नपूर्णा की कृपा भी बनाए रखता है।


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