सोमवार को, डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये ने एक महीने की उच्चतम स्थिति प्राप्त की है।
भारतीय रुपये ने करेंसी बाजार में एक नई हलचल पैदा की है। हाल के दिनों में रुपये की लगातार बढ़ती कीमत ने डॉलर को उसकी वास्तविक स्थिति पर ला खड़ा किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में कमी और विदेशी निवेशकों की सक्रियता के कारण रुपये को मजबूती मिल रही है। आने वाले समय में रुपये के 86 के स्तर पर पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की कीमतों में भी गिरावट देखी जा रही है। कच्चे तेल की कीमतें वर्तमान में 61 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रही हैं। इस महीने विदेशी निवेशकों ने लगभग 6500 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिसका सकारात्मक प्रभाव रुपये पर पड़ा है। आइए जानते हैं कि करेंसी बाजार में रुपये का वर्तमान स्तर क्या है।
रुपये की स्थिति रुपये की नई ऊंचाई
आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पूंजी प्रवाह और कच्चे तेल की कम कीमतों के चलते, सोमवार को शुरुआती कारोबार में रुपये ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 14 पैसे की बढ़त के साथ 87.88 के स्तर पर पहुंच गया। घरेलू शेयर बाजार में तेजी ने भी रुपये की धारणा को मजबूत किया। इंटरबैंक फॉरेन करेंसी मार्केट में रुपये ने 87.94 पर मजबूती से शुरुआत की और सीमित कारोबार के कारण यह सीमित दायरे में रहा। शुरुआती कारोबार में रुपये का निचला स्तर 87.95 और उच्चतम स्तर 87.88 रहा। बाद में, स्थानीय मुद्रा 87.88 पर कारोबार कर रही थी, जो पिछले बंद भाव से 14 पैसे अधिक है। शुक्रवार को रुपये का बंद स्तर 88.02 था। शेयर और मुद्रा बाजार सोमवार को खुले रहेंगे। बीएसई और एनएसई ने सूचित किया है कि मंगलवार को लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष मुहूर्त ट्रेडिंग सत्र आयोजित किया जाएगा।
शेयर बाजार और कच्चे तेल की स्थिति शेयर बाजार में तेजी और क्रूड ऑयल में गिरावट
इस बीच, छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती का सूचक डॉलर इंडेक्स 0.02 प्रतिशत बढ़कर 98.45 पर पहुंच गया। वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.31 प्रतिशत गिरकर 61.10 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। घरेलू शेयर बाजार में, सोमवार को शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 668.88 अंक या 0.83 प्रतिशत बढ़कर 84,621.07 अंक पर पहुँच गया, जबकि निफ्टी 202.25 अंक या 0.79 प्रतिशत बढ़कर 25,912.50 अंक पर पहुंच गया। विश्लेषकों का कहना है कि पूंजी बाजार में घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की निरंतर खरीदारी, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की मामूली खरीदारी और त्योहारी सीजन में ऑटोमोबाइल और घरेलू वस्तुओं की तेज बिक्री की खबरों का असर दिख रहा है।
विशेषज्ञों की राय क्या कर रहे हैं जानकार?
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, “हाल के दिनों में एफआईआई गतिविधियों में मामूली बदलाव देखा जा रहा है। एफआईआई ने अपनी बिकवाली काफी कम कर दी है और कुछ दिनों में तो खरीदार भी बन गए हैं। अक्टूबर 17 तक, एफआईआई की बिकवाली में भारी गिरावट आई है और यह केवल 4,114 करोड़ रुपये रह गई है। एफआईआई की रणनीति में इस बदलाव का मुख्य कारण भारत और अन्य बाजारों के बीच मूल्यांकन के अंतर में कमी है। पिछले एक साल में भारत के कमज़ोर प्रदर्शन ने आगे चलकर बेहतर प्रदर्शन की संभावनाएं खोल दी हैं।
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