क्रिकेट का नन्हा सितारा Image Credit source: Social Media
सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जो सभी के दिलों को छू रहा है। इस क्लिप में एक पिता अपने छोटे बेटे को क्रिकेट की बारीकियां सिखाते हुए नजर आ रहे हैं। बच्चे की उम्र लगभग तीन या चार साल है, लेकिन उसके शॉट्स देखकर लोग हैरान हैं। उसकी टी-शर्ट पर नाम 'सुफियान' लिखा है। उसके हर ड्राइव, कवर ड्राइव और पुल शॉट में आत्मविश्वास और तकनीक की झलक है, जो किसी पेशेवर क्रिकेटर को चुनौती दे सकती है। ऐसा लगता है कि यह नन्हा खिलाड़ी भविष्य में भारतीय क्रिकेट का चमकता सितारा बनने वाला है।
इस वीडियो की खास बात यह है कि सुफियान की प्रैक्टिस किसी बड़े मैदान या क्रिकेट अकादमी में नहीं, बल्कि एक फैक्ट्री के अंदर हो रही है। बैकग्राउंड में मशीनों की आवाज सुनाई दे रही है, और इसी बीच यह बच्चा अपने पिता के साथ क्रिकेट खेलता नजर आता है। ऐसा लगता है कि पिता ने अपने काम के बाद का समय निकालकर बेटे के सपनों को उड़ान देने का जिम्मा लिया है। फैक्ट्री के सीमित स्थान में भी जब सुफियान गेंद पर शॉट लगाता है, तो उसकी आंखों में क्रिकेट के प्रति अद्भुत चमक दिखाई देती है।
जोश और उम्मीद से भरे शॉट्स
वीडियो में पिता और बेटे की यह जोड़ी केवल खेल नहीं रही, बल्कि एक अनकही कहानी बयां कर रही है। यह एक सपने, समर्पण और जिद की कहानी है। यह सिर्फ एक बच्चा और एक पिता नहीं हैं, बल्कि उन सभी परिवारों का प्रतीक हैं जो सीमित साधनों में भी अपने बच्चों के अरमान पूरे करने का साहस रखते हैं। सुफियान के हर शॉट में पिता की मेहनत और विश्वास झलकता है, जबकि बच्चे की मुस्कान में जोश और उम्मीद नजर आती है।
सोशल मीडिया पर लोग इस वीडियो को देखकर भावुक हो गए हैं। कुछ ने उसे 'मिनी विराट' कहा, तो कुछ ने 'फैक्ट्री का धोनी'। हजारों यूजर्स ने वीडियो पर प्यार और शुभकामनाओं की बौछार कर दी है। कई लोगों ने लिखा कि ऐसे माता-पिता असली हीरो होते हैं, जो संसाधनों की कमी के बावजूद बच्चों को बड़े सपने देखने की हिम्मत देते हैं। किसी ने कमेंट किया कि यह बच्चा आने वाले समय में देश का नाम रोशन करेगा, तो किसी ने पिता को सलाम किया कि उन्होंने परिस्थितियों को बहाना नहीं बनाया, बल्कि उन्हें अपनी ताकत में बदल दिया।
देखें नन्हे सितारे का वीडियो
सुफियान का यह वीडियो हमें एक महत्वपूर्ण सीख देता है। यह बताता है कि प्रतिभा किसी सुविधा, मैदान या कोचिंग की मोहताज नहीं होती। अगर भीतर सच्चा जुनून हो और मार्गदर्शक का साथ मिले, तो सपने चाहे कितने भी बड़े क्यों न हों, उन्हें हकीकत में बदला जा सकता है। यह छोटा बच्चा और उसका पिता उस सच्चाई का जीवंत उदाहरण हैं।
जब बच्चा गेंद पर शॉट लगाता है, तो उसके चेहरे पर जो आत्मविश्वास झलकता है, वह बताता है कि मेहनत उम्र नहीं देखती। उसकी मासूम मुस्कान और सधी हुई बल्लेबाजी यह साबित करती है कि क्रिकेट उसके लिए सिर्फ खेल नहीं, बल्कि एक भावना है। वह हर गेंद को पूरी निष्ठा के साथ खेलता है, जैसे उसे पहले से पता हो कि एक दिन यही खेल उसकी पहचान बनेगा। सुफियान की यह कहानी बताती है कि सपनों को उड़ान देने के लिए बड़े संसाधनों की नहीं, बस विश्वास, लगन और थोड़े से साहस की जरूरत होती है।
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