E20 फ्यूल को लेकर काफी चर्चा हो रही है. इसी को लेकर महिंद्रा एंड महिंद्रा के ऑटोमोटिव डिवीजन प्रमुख नलिनीकांत गोल्लागुंटा ने हाल ही में स्पष्ट किया कि E20 फ्यूल पूरी तरह से सुरक्षित है और गाड़ियों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा. लेकिन उन्होंने इसको माना है कि इससे वाहन का माइलेज घटेगा. कंपनी अगले हफ्ते अपने ग्राहकों के लिए विस्तृत एडवाइजरी जारी करने वाली है.
पुरानी गाड़ियों का असरदरअसल, गाड़ियों के पुराने मॉडल्स को लेकर चिंता सबसे ज्यादा है. विशेषज्ञों का मानना है कि पुरानी गाड़ियों में कुछ रबर पार्ट्स, सील्स और गैस्केट्स को बदलने की जरूरत पड़ सकती है. सरकार का कहना है कि ये आसान प्रक्रिया है लेकिन आम वाहन चालकों के लिए ये ज्यादा खर्च का बोझ साबित हो सकता है.
सरकार का रुखकेंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि एथेनॉल ब्लेंडिंग किसी भी हाल में जारी रहेगी. इसके पीछे कुल तीन कारण हैं- कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता घटना, गन्ना किसानों को सपोर्ट देना और कार्बन उत्सर्जन को कम करना. सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सोशल मीडिया पर चल रही आलोचनाओं को भी राजनीतिक रूप से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया.
भरोसा है असली चुनौतीतकनीकी दृष्टि से देखा जाए तो E20 पर बहुत विवाद नहीं है, लेकिन असली समस्या ग्राहकों के भरोसे की है. वाहन कंपनियों के विरोधाभासी बयानों ने लोगों को और ज्यादा उलझा दिया है. महिंद्रा का खुला रुख और आने वाली एडवाइजरी ग्राहकों की चिंता कम कर सकती है. फिर भी बड़ा सवाल यही है क्या भारतीय लोग आज माइलेज और परफॉर्मेंस में थोड़ी कमी स्वीकार कर भविष्य के स्वच्छ ऊर्जा लक के लिए तैयार होंगे?
ये मॉडल्स होंगे E20 के लिए ऑप्टिमाइज्डकंपनी का कहना है कि 1 अप्रैल 2025 के बाद तैयार होने वाले सभी मॉडल पूरी तरह से ई20 फ्यूल के अनुरूप बनाए जाएंगे. इन गाड़ियों को इस तरह कैलिब्रेट किया गया है कि उनके माइलेज और परफॉर्मेंस पर कोई असर नहीं पड़ेगा. कंपनी ने ये स्पष्ट किया कि एक जिम्मेदार निर्माता होने के नाते वो अपने ग्राहकों को पहले की तरह ही पूरी वारंटी सुविधा कराती रहेगी.
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