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H-1B Visa: भारत लौटेगा टेक टैलेंट, AI और डीप-टेक सेक्टर को मिलेगा बूस्ट

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US H-1B visa 100000 Dollar fee Impact: अमेरिकी सरकार द्वारा H-1B वीजा पर 100,000 डॉलर की भारी फीस लगाए जाने के बाद भारत के लिए एक नया मौका बन सकता है. इस फैसले के चलते बड़ी संख्या में भारतीय प्रोफेशनल्स और स्टूडेंट्स अमेरिका जाने के बजाय भारत लौट सकते हैं. स्टार्टअप फाउंडर्स का मानना है कि यह रिवर्स ब्रेन ड्रेन भारत के AI, डीप-टेक और SaaS सेक्टर को मजबूत करेगा.

AI और डीप-टेक में सुनहरा भविष्य

में बदलाव भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. यह भारत के लिए रिवर्स ब्रेन ड्रेन का मौका लेकर आया है. द इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, कई फाउंडर्स का मानना है कि अभी AI सेक्टर गोल्ड रश जैसा है. भारत लौटने वाले कई प्रोफेशनल्स या तो खुद स्टार्टअप शुरू करेंगे या शुरुआती टीमों से जुड़ेंगे. इससे देश में टैलेंट डेंसिटी बढ़ेगी और ग्लोबल लेवल पर प्रतिस्पर्धी कंपनियां खड़ी की जा सकेंगी.

भारत में टैलेंट की वापसी का नया मौका

द इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, टुगेदर फंड के फाउंडिंग पार्टनर मानव गर्ग का कहना है कि यह फैसला भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए बड़ा अवसर है. अब अमेरिकी कंपनियां इतनी महंगी स्पॉन्सरशिप करने में हिचकेंगी, जिससे शुरुआती करियर वाले प्रोफेशनल्स और छात्र भारत लौटकर यहां अपनी ग्रोथ तलाशेंगे.

इंजीनियर्स और रिसर्चर्स का नया ट्रेंड

बेंगलुरु स्थित चारा टेक्नोलॉजीज के को-फाउंडर भक्त केशवचार (Bhaktha Keshavachar) ने बताया कि पिछले दो-तीन सालों से अमेरिकी डिग्री वाले भारतीय इंजीनियर्स भारत में नौकरी के लिए लगातार अप्लाई कर रहे हैं. वहीं, ब्रेनसाइट एआई की को-फाउंडर लैना इमैनुएल के अनुसार, अमेरिकी रिसर्चर्स और PhD ग्रेजुएट्स की एप्लिकेशन्स भी तेजी से बढ़ रही हैं.

भारत के लिए सीख और चुनौती

सुपरऑप्स डॉट एआई (SuperOps.ai) के को-फाउंडर अरविंद पार्थिबन का कहना है कि अब भारत को सिर्फ सर्विस-बेस्ड काम से बाहर निकलकर प्रोडक्ट और डीप-टेक पर निवेश करना होगा. अगर देश इनोवेशन पर फोकस नहीं करेगा, तो भविष्य में पीछे रह सकता है. उनका मानना है कि यही वक्त है जब भारत को AI मॉडल्स और कोर टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट में बड़ा कदम उठाना चाहिए.

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