जबलपुर की जिला सेशन कोर्ट ने कुंभकरण बैगा की हत्या के मामले में दो आरोपियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. जिला सेशन कोर्ट के स्पेशल जज एससी एसटी गिरीश दीक्षित की कोर्ट ने जिले के बरेला थाना क्षेत्र में घटित कुंभकरण बैगा हत्याकांड में ठोस सबूतों और अभियोजन पक्ष की मजबूत दलीलों के आधार पर ये फैसला सुनाया है.
दोषियों का नाम पुरुषोत्तम तिवारी उर्फ लालन और भुवनेश्वर तिवारी उर्फ चुक्खन है. यह पूरा मामला 18 अक्टूबर साल 2023 की सुबह का है. जब प्रार्थी गोविंद चौधरी मजदूरी से लौटकर दोषी पुरुषोत्तम तिवारी उर्फ लालन के घर अपने 700 रुपये की उधारी लेने गया था. उस समय घर पर पुरुषोत्तम, मृतक कुंभकरण बैगा उर्फ राज मिस्त्री और एक अन्य युवक भारत मौजूद थे.
चाकू से कुंभकरण पर हमलाबातचीत के दौरान पुरुषोत्तम और कुंभकरण में बहस बढ़ गई. इस बीच गोविंद वहां से निकलकर दोषी भुवनेश्वर तिवारी उर्फ चुक्खन के घर चला गया, जहां भुवनेश्वर खाना बना रहा था. कुछ ही देर में कुंभकरण भी वहां पहुंच गया, तभी पुरुषोत्तम तिवारी अपने घर से चाकू लेकर आया और कुंभकरण पर हमला कर दिया. उसने पहले कुंभकरण की जांघ में वार किया. फिर लगातार चाकुओं से हमला करने लगा.
इस दौरान भुवनेश्वर ने मृतक को पकड़कर रोक लिया ताकि वह बच न सके. मौके पर मौजूद गोविंद और भारत डरकर भाग निकले. बाद में सूचना मिली कि कुंभकरण की मौत हो चुकी है. इस गंभीर घटना को लेकर बरेला थाने में धारा 302/34 और 3(2)(5) एससीएसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया ओर इसकी जांच थाना प्रभारी जितेन्द्र पाटकर के द्वारा की गई.
कोर्ट ने अभियोजन के तर्कों से सहमति जताईजांच के दौरान प्राप्त वैज्ञानिक सबूत, सकारात्मक बायोलॉजिकल रिपोर्ट और भौतिक शाखा की रिपोर्ट ने अभियोजन पक्ष को मजबूत आधार प्रदान किया. साथ ही प्रत्यक्षदर्शियों के मौखिक बयान द्वारा पुरुषोत्तम और भुवनेश्वर तिवारी सजा दिलाने में मदद मिली. अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक नविता पिल्लई ने पैरवी की. कोर्ट ने अभियोजन के तर्कों से सहमति जताई और आरोपियों को दोषी मानते हुए कठोर सजा सुनाई.
आरोपी पुरुषोत्तम तिवारी उर्फ लालन को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और 1000 रुपये अर्थदंड तथा आयुध अधिनियम की धारा 25(1बी)(बी) में दो वर्ष की सश्रम कारावास और 1000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई. वहीं सह-आरोपी भुवनेश्वर तिवारी उर्फ चुख्खन को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और 1000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई.
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