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सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग के संयोग में करें ये काम, मिलेगा विशेष फल

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New Delhi, 27 सितंबर . आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर Sunday को पड़ रही है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का संयोग बन रहा है. इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा 29 सितंबर को सुबह के 3 बजकर 55 मिनट तक वृश्चिक राशि में रहेंगे. इसके बाद धनु राशि में गोचर करेंगे.

द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह के 11 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह के 4 बजकर 41 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 6 बजकर 10 मिनट तक रहेगा.

सर्वार्थ सिद्धि ज्योतिष में एक बेहद शुभ योग है, जो किसी विशेष दिन एक विशिष्ट नक्षत्र के मेल से बनता है.

मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और व्यक्ति को सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है. इसका मुहूर्त 29 सितंबर की सुबह 3 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर सुबह के 6 बजकर 13 मिनट तक रहेगा.

रवि योग ज्योतिष में एक शुभ योग माना गया है. यह तब बनता है, जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौवें, दसवें और तेरहवें स्थान पर होता है. इस दिन निवेश, यात्रा, शिक्षा या व्यवसाय से संबंधित काम की शुरुआत करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है.

अग्नि और स्कंद पुराणों के अनुसार, Sunday के दिन व्रत रखने से सुख, समृद्धि, आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है. व्रत को आप किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के पहले Sunday से शुरू कर सकते हैं. यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर है.

व्रत शुरू करने के लिए आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें, उसके बाद एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर व्रत कथा सुनें और सूर्य देव को तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें फूल, अक्षत और रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

इसके अलावा Sunday के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने और सूर्य देव के मंत्र “ऊँ सूर्याय नमः” या “ऊँ घृणि सूर्याय नमः” का जप करने से भी विशेष लाभ मिलता है. Sunday के दिन गुड़ और तांबे के दान का भी विशेष महत्व है. इन उपायों को करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है. साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है.

एक समय भोजन करें, जिसमें नमक का सेवन न करें और व्रत का उद्यापन 12 व्रतों के बाद किया जाता है.

एनएस/एएस

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