New Delhi, 17 अगस्त . सनातन धर्म में एकादशी व्रतों का विशेष महत्व होता है. हर साल 24 एकादशियां आती हैं, इनमें से भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी ‘अजा एकादशी’ को बेहद खास माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक व्रत रखने, पूजा करने और कुछ खास उपायों को अपनाने से व्यक्ति के जीवन में चल रही कई समस्याएं खत्म हो सकती हैं. साथ ही आर्थिक संकट और पारिवारिक तनाव से भी मुक्ति मिल सकती है.
इस साल अजा एकादशी का व्रत 19 अगस्त को रखा जाएगा.
पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि की शुरुआत 18 अगस्त को शाम 5 बजकर 22 मिनट पर होगी और इसका समापन 19 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 32 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, व्रत 19 अगस्त को ही मान्य होगा.
अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है. इस दिन श्रद्धालु व्रत रखकर जल, फल और तुलसी से श्रीहरि की पूजा करते हैं. इसके अलावा, मां लक्ष्मी की आराधना भी की जाती है ताकि घर में धन-धान्य और समृद्धि बनी रहे. पौराणिक कथाओं में भी इस व्रत के महत्व का उल्लेख मिलता है, जहां इसे पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग बताया गया है.
ज्योतिषियों की मानें तो, अजा एकादशी के दिन कुछ सरल उपाय अपनाना बहुत लाभदायक होता है. जैसे कि, इस दिन भगवान विष्णु को पीले फूल और मिठाई अर्पित करने से कार्यक्षेत्र की बाधाएं दूर होती हैं. वहीं, हल्दी मिले जल से स्नान और केले के पेड़ की पूजा करने से भाग्य का साथ मिलने लगता है.
अजा एकादशी को लेकर मान्यता है कि इसका व्रत करने से हजारों गोदान जितना पुण्य प्राप्त होता है. यही कारण है कि हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं.
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पीके/एएस
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