कोलकाता, 19 अप्रैल . भारतीय जनता पार्टी के नेता और दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने पश्चिम बंगाल पुलिस को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्हें ‘तमाशबीन’ बताया है. से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में हालात बेहद चिंताजनक हैं और पुलिस महज कुर्सी लगाकर तमाशा देख वापस लौट रही.
मिथुन चक्रवर्ती ने बंगाल पुलिस की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाया. उन्होंने कहा, ” पुलिस सिर्फ “फंक्शन” देखने आती है. जहां दंगे हो रहे होते हैं, वहां कुर्सी लगाकर तमाशा देखती है और फिर चुपचाप वापस चली जाती है. उन्होंने कहा कि पुलिस की भूमिका अब कानून व्यवस्था संभालने की नहीं रह गई, बल्कि मूकदर्शक बनने की हो गई है.”
से विशेष साक्षात्कार में मिथुन ने वक्फ को लेकर प्रदेश सरकार के रवैये को कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने कहा , ” उन्होंने वक्फ कानून को लेकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर कहा कि हिंदुओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है. मुस्लिम समाज के नाम पर जिन जमीनों को वक्फ संपत्ति बताया जा रहा है, उन्हें नेताओं ने कब्जा कर लिया है. कहीं गोदाम बना दिए, कहीं किराए पर चढ़ा दिए, और उस पैसे से अपनी ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहे हैं. अगर इन संपत्तियों का कुछ हिस्सा मुस्लिम भाइयों या उनकी बहनों को मिल जाता, तो कोई समस्या नहीं थी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा. नतीजा यह है कि आम हिंदू परिवार बेघर हो रहे हैं, और ट्रांजिट कैंपों में खिचड़ी खा रहे हैं.
दावा किया,” अगर मुख्यमंत्री चाहें तो एक दिन में हिंसा पर काबू पाया जा सकता है. लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा क्योंकि जिन लोगों की मदद से सरकार बनी है, उन्हीं को संतुष्ट रखने की कोशिश हो रही है. बंगाल में अब सनातनी, सिख और ईसाई समुदाय के लोग तृणमूल को वोट नहीं देते, इसलिए जो उनका ‘वोट बैंक’ है, उन्हें खुश रखना सरकार की प्राथमिकता बन गई है इसलिए अपराधियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही. बंगाल में अब हिंदू शरणार्थी बन गए हैं. राज्य में दादागिरी का बोलबाला है और हर जगह एक अघोषित डर का माहौल है. हम कोई दंगा-फसाद नहीं चाहते. हमने पहले ही कहा था कि फेयर इलेक्शन कराइए, लेकिन वो भी नहीं होने दिया गया.”
जब मिथुन से पूछा गया कि क्या बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए, तो उन्होंने बेझिझक कहा कि अगर ऐसी स्थिति चलती रही, तो राष्ट्रपति शासन लगाना ही पड़ेगा. उन्होंने गृहमंत्री से अपील की कि कम से कम चुनाव के दो महीने पहले आर्मी को राज्य में तैनात किया जाए, ताकि निष्पक्ष चुनाव हो सके. मिथुन ने यह भी कहा कि चुनाव के नतीजे आने के बाद भी सेना की मौजूदगी जरूरी है, क्योंकि अगर मौजूदा सरकार फिर जीतती है, तो एक बार फिर हिंसा का दौर शुरू हो सकता है.
–
पीएसएम/केआर
The post first appeared on .
You may also like
U.S. Vice President JD Vance to Visit India from April 21; Three-Day Stay Scheduled in Jaipur
PBKS vs RCB Pitch Report: फिर गेंदबाज रहेंगे हावी या बल्ला बोलेगा, पंजाब और आरसीबी के मैच में कैसी होगी मुल्लांपुर की पिच?
दिल्ली में चार मंजिला इमारत गिरने से 11 लोगों की जान गई
बेंगलुरु में हिंदी बोलने की मांग पर विवादित वीडियो वायरल
महिलाओं की शारीरिक भाषा: आकर्षण के संकेत