नई दिल्ली, 20 मई . तमिलनाडु मानव तस्करी मामले में मंगलवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने दो बांग्लादेशी नागरिकों को सजा सुनाई. अदालत ने प्रत्येक को दो वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई. उन पर 11-11 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
दोनों बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान शहाबुद्दीन हुसैन उर्फ मोहम्मद साहबुद्दीन और मुन्ना उर्फ नूर करीम के रूप में हुई है.
एनआईए ने कार्रवाई करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. एजेंसी ने इन दो आरोपियों के खिलाफ एक आरोपपत्र और तीसरे आरोपी बाबू एस.के. उर्फ बाबू शरीफुल उर्फ एमडी शरीफुल बाबूमिया के खिलाफ एक आरोपपत्र दायर किया था, जिसके खिलाफ मुकदमा जारी है.
एनआईए की जांच के अनुसार, बांग्लादेश के चटगांव जिले के रहने वाले शहाबुद्दीन और मुन्ना तस्करों और दलालों की मदद से अवैध रूप से भारत में घुसे थे. उन्होंने जाली भारतीय पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि बनवाए थे. उन्होंने इन जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके सिम कार्ड खरीदे और बैंक खाते संचालित किए.
बाबू के साथ मिलकर दोनों आरोपी रोहिंग्या और बांग्लादेशी मूल के लोगों की मानव तस्करी में शामिल थे. पीड़ितों को भारत में रहने के लिए मजबूर किया गया और नौकरी के नाम पर उनका शोषण भी किया गया.
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ समय से देश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और रोहिंग्या लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज हो गई है. कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने उनकी पहचान शुरू कर दी है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को विशेष रूप से पत्र लिखकर देश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों और दूसरे विदेशी नागरिकों की पहचान करने और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. केंद्र सरकार ने इसके लिए राज्यों को एक महीने का समय दिया है.
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एएसएच/एकेजे
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