अयोध्या, 12 सितंबर . अयोध्या धाम में पूज्य स्वामी हर्याचार्य जी महाराज की 17वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने शामिल होकर श्रद्धासुमन अर्पित किए.
Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि उन्हें अयोध्या की पावन धरा को नमन करने का सौभाग्य मिल रहा है. अभी हाल ही में मॉरिशस के Prime Minister अयोध्या आए थे और उन्होंने पूछा कि कितने वर्ष बाद राम मंदिर का निर्माण हो रहा है. मैंने उन्हें बताया कि 500 वर्ष बाद. 500 वर्षों तक संतों और भक्तों ने संघर्ष किया और आज वह सपना साकार हुआ.
उन्होंने अयोध्या आंदोलन में संतों के योगदान को याद करते हुए कहा कि जिन्होंने अपने जीवन, स्वास्थ्य और सुख की परवाह किए बिना सिर्फ एक ध्येय बनाया, ”रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे”, उन्हीं संतों की साधना और तप का परिणाम है कि आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हुआ है.
सीएम योगी ने कहा कि पूज्य स्वामी हर्याचार्य जी महाराज का सानिध्य उन्हें कई अवसरों पर मिला. उनमें श्रीराम जन्मभूमि के लिए एक अदम्य जज्बा था और सनातन धर्म की एकता के लिए उनका योगदान अविस्मरणीय है. उन्होंने परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज और अन्य संतों की उन इच्छाओं का भी स्मरण किया, जिनकी एकमात्र कामना यही थी कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो.
उन्होंने बताया कि उनके पूज्य गुरुदेव भी अपने अंतिम समय में इसी विषय पर चिंतित रहते थे और यही कहते थे कि अयोध्या में रामलला विराजमान हों. अयोध्या, काशी, मथुरा या वो सभी धर्मस्थल जिन्हें गुलामी के कालखंड में बर्बर विदेशी आक्रांताओं ने अपवित्र किया था, अब उनका ससम्मान पुनर्प्रतिष्ठा होनी चाहिए. राष्ट्रीय जीवन में जिस प्रकार राष्ट्रीय प्रतीकों का महत्व है, उसी प्रकार धार्मिक जीवन में आस्था के प्रतीकों का महत्व है. अयोध्या, काशी, मथुरा जैसे धर्मस्थलों की पुनर्प्रतिष्ठा सनातन धर्म का संकल्प है.
सीएम योगी ने कहा कि हर सनातनी का यह प्रण होना चाहिए कि यदि हम अपने धार्मिक प्रतीकों का सम्मान कर रहे हैं तो हमें तिरंगे और संविधान जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों का भी सम्मान करना होगा. हमारे सैनिकों के प्रति श्रद्धा का भाव ही सच्चे सनातनी की पहचान है. सनातन धर्म का सार यही है कि जिसने उपकार किया उसके प्रति आभार प्रकट करना. गंगा, गौ, राम, कृष्ण, विश्वनाथ, गंगा-यमुना-सरयू हमारे प्रतीक हैं. सनातन धर्मावलंबियों ने जीवन के रहस्यों को गहराई से समझा है. हमने स्वर्ग को तुच्छ माना और मोक्ष को सर्वोच्च लक्ष्य माना. यही सन्यासियों और योगियों की पहचान है कि वे अपने व्यक्तिगत मोक्ष के लिए नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए कार्य करते हैं.
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विकेटी/एसके
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