Patna, 1 नवंबर . बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार अभियान तेज है. हालांकि इस प्रचार अभियान की तेजी को मौसम के बदलाव ने कुछ ब्रेक लगाया है. इस चुनाव में गौर करने वाली बात है कि कांग्रेस के नेता अपनी खोई जमीन तलाशने के लिए खूब पसीना बहा रहे हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि कांग्रेस इस चुनाव में कई फैसले ऐसे ले रही है, जिससे कहा जा रहा है कि कांग्रेस अपनी पुरानी छवि को बदलने में जुटी है.
कांग्रेस ने चुनाव की आहट के पूर्व ही कृष्णा अल्लावरु को बिहार प्रभारी बनाकर यह स्पष्ट संकेत दे दिए थे कि पार्टी इस चुनाव में कुछ अलग करने की तैयारी में है. कांग्रेस ने जिस तरीके से Chief Minister चेहरे की घोषणा को लेकर अपनी सहयोगी पार्टी राजद को अंतिम दौर तक इंतजार करवाया, उससे लोगों में यह स्पष्ट संदेश गया कि कांग्रेस अब राजद की पिछलग्गू बने रहने के ठप्पे से बाहर निकलने जा रही है.
कांग्रेस के एक नेता ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर दावा किया है कि कांग्रेस ने इस चुनाव में किसी भी आतंक का पर्याय या बाहुबली को टिकट नहीं दिया है. यही नहीं, वर्तमान में कई नेता अपने पुत्रों और पुत्रियों के टिकट को लेकर जुगाड़ में थे, लेकिन किसी को भी उम्मीदवार नहीं बनाया गया. हालांकि, गठबंधन में शामिल दलों से तनातनी भी देखने को मिली थी, लेकिन पार्टी ने इसे भी निपटा लिया.
सबसे गौर करने वाली बात है कि कांग्रेस के केंद्रीय नेता भी लगातार इस चुनाव में बिहार पहुंच रहे हैं. Lok Sabha में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी चुनावी प्रचार में उतर गए हैं. कहा तो यह भी जा रहा है कि कांग्रेस इस चुनाव के जरिये आगे की तैयारी कर रही है.
बताया जा रहा है कि कांग्रेस इस चुनाव में अपने पुराने वोट बैंक को साधने की कोशिश में जुटी है. कांग्रेस जहां सीमांचल में मुसलमान वोट बैंक को जोड़ने में लगी है, वहीं मिथिलांचल के अपने पुराने गढ़ को भी दुरुस्त करने की कोशिश की है.
चुनाव के पहले भी राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा के जरिए 16 दिनों तक विभिन्न जिलों का दौरा किया था और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को उत्साहित करते हुए जोश भरने का काम किया था.
बता दें कि बिहार में इस चुनाव में महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने 60 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं. हालांकि, कुछ सीटों पर दोस्ताना संघर्ष भी दिख रहा है.
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एमएनपी/डीकेपी
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