ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत अब पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान की असलियत उजागर करने की तैयारी में जुट गया है। इस उद्देश्य से सरकार ने सभी दलों को शामिल करते हुए कुल 40 सांसदों की एक टीम बनाई है, जिसे 7 डेलिगेशन में विभाजित किया गया है। ये प्रतिनिधिमंडल अलग-अलग देशों में जाकर बताएंगे कि किस तरह पाकिस्तान आतंकवाद को संरक्षण देता है और इसे फैलाने में भूमिका निभा रहा है। इसी तर्ज पर अब पाकिस्तान ने भी भारत की रणनीति की नकल की है।
दरअसल, पाकिस्तान ने अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि सुधारने और कूटनीतिक प्रयासों को मजबूत करने के लिए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी को चुना है। शनिवार, 17 मई 2025 को, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की तरफ से पक्ष रखने और देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करने की जिम्मेदारी सौंपी।
बिलावल भुट्टो के नेतृत्व में बनी विशेष समिति
इस डेलीगेशन का नेतृत्व करते हुए बिलावल भुट्टो के साथ एक समिति का भी गठन किया गया है। इस समिति में पूर्व मंत्री खुर्रम दस्तगीर खान, हिना रब्बानी खार और पूर्व विदेश सचिव जलील अब्बास जिलानी को शामिल किया गया है। इस सिलसिले में बिलावल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुझे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति के समर्थन में पाकिस्तान की बात रखने के लिए प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करने का निर्देश दिया है। यह मेरे लिए गर्व और सम्मान की बात है।"
भारत की ओर से कौन रखेगा पक्ष?
शनिवार को भारत सरकार ने संसद मामलों के मंत्रालय के माध्यम से यह जानकारी दी कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर और एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले सहित कई वरिष्ठ नेता दुनिया के प्रमुख देशों का दौरा करेंगे। वे अपने-अपने क्षेत्रों में ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत का पक्ष प्रभावी ढंग से रखेंगे। शशि थरूर अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राज़ील और कोलंबिया की यात्रा करेंगे। वहीं, सुप्रिया सुले मिस्र, क़तर, इथियोपिया और दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर जाएंगी।
इनके अलावा, भारतीय डेलिगेशन में डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि, जेडीयू के संजय कुमार झा, भाजपा के रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा और एकनाथ शिंदे गुट से सांसद श्रीकांत शिंदे भी शामिल हैं। ये सभी सांसद अपने-अपने निर्धारित देशों में जाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत की स्थिति और ऑपरेशन सिंदूर की गंभीरता के बारे में अवगत कराएंगे।
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