'जंगली सूअर को मारो और उसे पकाकर खा जाओ।' ये शब्द जंगल में जिंदगी बिताने वाले किसी शख्स के नहीं हैं बल्कि केरल के कृषि मंत्री पी. प्रसाद के हैं। उनकी नजर में खेतों को बचाने के लिए यही सबसे बेहतर समाधान है। बात सिर्फ सूअर की नहीं है...थोड़ा और पीछे जाते हैं। पिछले ही महीने खबर आई कि केरल सरकार ने एक ऐसा मसौदा तैयार किया है, जिसमें बाघ-हाथी समेत जंगली जानवरों को मारने का अधिकार आम लोगों को देने की बात कही गई है।
कुछ ही दिन पहले केरल के कृषि मंत्री पी. प्रसाद ने बयान दिया कि जंगली सूअरों को मारकर खा जाना चाहिए। इससे उनके द्वारा खेतों को बर्बाद करने की समस्या से तेजी से छुटकारा मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा वन्यजीव संरक्षण कानून इनके शिकार की अनुमति नहीं देता है। लेकिन मेरा मानना है कि खेतों में घुसने वाले जंगली सूअरों को मारकर खा जाना चाहिए। इससे जंगली सूअरों की बढ़ती आबादी पर कंट्रोल करने में भी मदद मिलेगी।
बाघ-हाथी को भी मारने की तैयारीबात सिर्फ जंगली सूअरों की नहीं है। केरल में जंगली जानवरों के प्रति अजीबोगरीब 'गुस्सा' देखने को मिल रहा है। केरल सरकार ऐसा कानून लाना चाहती है, जिससे 'खतरा' पैदा करने वाले बाघ-हाथी समेत किसी भी जंगली जानवर को कोई भी मार सकता है। केरल सरकार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में संशोधन कराना चाहती है। इस मसौदे को केंद्र सरकार के पास भेजने की तैयारी चल रही है। मतलब आम लोगों के पास भी जंगली जानवरों को मारने का लाइसेंस होगा।
जंगली सूअरों को पूरी तरह खत्म करने की तैयारीयह बात सही है कि जंगली सूअरों की वजह से खेतों का काफी नुकसान होता है। लेकिन उन्हें मारकर खा जाने के समाधान ने बहस छोड़ दी है। केरल सरकार जंगली सूअरों को राज्य से पूरी तरह से खत्म कर देना चाहती है। इसके लिए जंगलों में मनरेगा के अंतर्गत काम शुरू करने की भी बात कही जा रही है। जंगलों को कम करके जंगली जानवरों को खत्म करने का समाधान ढूंढा जा रहा है। खासतौर से वो जगह, जहां जंगली सूअर अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा इंसानी बस्तियों या खेतों की ओर आने वाले सूअरों को मार डालने की भी अनुमति सभी को देने की तैयारी है।
तड़पाने की बेतुकी सलाहऐसा नहीं है कि सिर्फ केरल सरकार ही वन्यजीव अधिनियम में संशोधन करना चाहती है। अन्य नेताओं की सोच भी इस मामले में ऐसी ही लग रही है। हाल ही में कांग्रेस विधायक रोजी एम. जॉन ने कहा था कि इंसानी बस्तियों में घुसने वाले जंगली जानवरों को इतना ज्यादा दर्द देना चाहिए कि वो दोबारा ऐसा करने से पहले कई बार सोचे।
कुछ ही दिन पहले केरल के कृषि मंत्री पी. प्रसाद ने बयान दिया कि जंगली सूअरों को मारकर खा जाना चाहिए। इससे उनके द्वारा खेतों को बर्बाद करने की समस्या से तेजी से छुटकारा मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा वन्यजीव संरक्षण कानून इनके शिकार की अनुमति नहीं देता है। लेकिन मेरा मानना है कि खेतों में घुसने वाले जंगली सूअरों को मारकर खा जाना चाहिए। इससे जंगली सूअरों की बढ़ती आबादी पर कंट्रोल करने में भी मदद मिलेगी।
बाघ-हाथी को भी मारने की तैयारीबात सिर्फ जंगली सूअरों की नहीं है। केरल में जंगली जानवरों के प्रति अजीबोगरीब 'गुस्सा' देखने को मिल रहा है। केरल सरकार ऐसा कानून लाना चाहती है, जिससे 'खतरा' पैदा करने वाले बाघ-हाथी समेत किसी भी जंगली जानवर को कोई भी मार सकता है। केरल सरकार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में संशोधन कराना चाहती है। इस मसौदे को केंद्र सरकार के पास भेजने की तैयारी चल रही है। मतलब आम लोगों के पास भी जंगली जानवरों को मारने का लाइसेंस होगा।
जंगली सूअरों को पूरी तरह खत्म करने की तैयारीयह बात सही है कि जंगली सूअरों की वजह से खेतों का काफी नुकसान होता है। लेकिन उन्हें मारकर खा जाने के समाधान ने बहस छोड़ दी है। केरल सरकार जंगली सूअरों को राज्य से पूरी तरह से खत्म कर देना चाहती है। इसके लिए जंगलों में मनरेगा के अंतर्गत काम शुरू करने की भी बात कही जा रही है। जंगलों को कम करके जंगली जानवरों को खत्म करने का समाधान ढूंढा जा रहा है। खासतौर से वो जगह, जहां जंगली सूअर अपनी आबादी बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा इंसानी बस्तियों या खेतों की ओर आने वाले सूअरों को मार डालने की भी अनुमति सभी को देने की तैयारी है।
तड़पाने की बेतुकी सलाहऐसा नहीं है कि सिर्फ केरल सरकार ही वन्यजीव अधिनियम में संशोधन करना चाहती है। अन्य नेताओं की सोच भी इस मामले में ऐसी ही लग रही है। हाल ही में कांग्रेस विधायक रोजी एम. जॉन ने कहा था कि इंसानी बस्तियों में घुसने वाले जंगली जानवरों को इतना ज्यादा दर्द देना चाहिए कि वो दोबारा ऐसा करने से पहले कई बार सोचे।
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