नोएडा: कर्मचारियों को दी जाने वाली ईएसआईसी ( ESIC ) और प्रोविडेंट फंड (पीएफ) की सुविधा की जिम्मेदारी से बचने के लिए नोएडा में करीब 250 फैक्ट्रियां शॉप के नाम पर संचालित हो रही है। नोएडा अर्थोरिटी की नाक के नीचे सालों से यह संचालन किया जा रहा था। अब अथॉरिटी की ओर से कराए गए एक सर्वे में यह खुलासा हुआ है, जिसके बाद अथॉरिटी ने 210 फैक्ट्रियों को नोटिस जारी कर दिया है। सर्वे अभी जारी है बाकी की लिस्ट भी तैयार की जा रही है।
अथॉरिटी से मिली जानकारी के अनुसार श्रमिक विभाग को भी इनकी लिस्ट भेज दी गई है, ताकि श्रम विभाग भी अपने स्तर से इस मामले में एक्शन ले सके। नोएडा में 10 हजार से ज्यादा छोटी-बड़ी सभी प्रकार का औद्योगिक इकाईयां हैं। यदि किसी भी इकाई में 20 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं तो बायलॉज के अनुसार उसका पंजीकरण फैक्ट्री एक्ट में कराया जाता है और उसमें कार्यरत कर्मचारियों को ईएसआईसी और पीएफ जैसी सुविधा फैक्ट्री संचालक को मुहैया करानी होती है।
फैक्ट्री संचालकों में मची खलबलीअथॉरिटी के सर्वे में जो 210 फैक्ट्री शॉप एक्ट में संचालित होती पाई गई हैं, उनमें कई में कर्मचारियों की संख्या 100 से भी ज्यादा है। नोएडा अथॉरिटी की ओर से यह सर्वे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कराया जा रहा है। फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण के बाद औद्योगिक इकाई के कारोबार की गणना जीडीपी में होने लगती है। इसी के चलते यह सर्वे अथॉरिटी ने कराया है।
इसका खुलासा होने के बाद इन फैक्ट्री संचालकों में खलबली मच गई है। क्योंकि अब एक तो इन्हें फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण कराकर ही संचालन करना होगा। साथ ही इतने सालों से जो शॉप एक्ट में संचालन हो रहा था उसका जवाब भी देना होगा, जिसके चलते इन पर पेनल्टी और पंजीकरण निरस्त होने की तलवार भी लटक गई है।
अथॉरिटी से मिली जानकारी के अनुसार श्रमिक विभाग को भी इनकी लिस्ट भेज दी गई है, ताकि श्रम विभाग भी अपने स्तर से इस मामले में एक्शन ले सके। नोएडा में 10 हजार से ज्यादा छोटी-बड़ी सभी प्रकार का औद्योगिक इकाईयां हैं। यदि किसी भी इकाई में 20 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं तो बायलॉज के अनुसार उसका पंजीकरण फैक्ट्री एक्ट में कराया जाता है और उसमें कार्यरत कर्मचारियों को ईएसआईसी और पीएफ जैसी सुविधा फैक्ट्री संचालक को मुहैया करानी होती है।
फैक्ट्री संचालकों में मची खलबलीअथॉरिटी के सर्वे में जो 210 फैक्ट्री शॉप एक्ट में संचालित होती पाई गई हैं, उनमें कई में कर्मचारियों की संख्या 100 से भी ज्यादा है। नोएडा अथॉरिटी की ओर से यह सर्वे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कराया जा रहा है। फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण के बाद औद्योगिक इकाई के कारोबार की गणना जीडीपी में होने लगती है। इसी के चलते यह सर्वे अथॉरिटी ने कराया है।
इसका खुलासा होने के बाद इन फैक्ट्री संचालकों में खलबली मच गई है। क्योंकि अब एक तो इन्हें फैक्ट्री एक्ट में पंजीकरण कराकर ही संचालन करना होगा। साथ ही इतने सालों से जो शॉप एक्ट में संचालन हो रहा था उसका जवाब भी देना होगा, जिसके चलते इन पर पेनल्टी और पंजीकरण निरस्त होने की तलवार भी लटक गई है।
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