करीब 22 हाथियों का एक झुंड ओडिशा के जंगलों से अचानक गायब हो गया है। इस वजह से हड़कंप मच गया है। इंसानी बस्तियों में डर का माहौल है। खासतौर से किसानों को अलर्ट किया गया है। दरअसल ओडिशा के चंदका वाइल्डलाइफ सेंचुरी से अचानक 22 हाथी कहीं बाहर चले गए हैं। इनमें से एक हथिनी झुंड से भी अलग हो गई है। इसकी खबर मिलने ही वन विभाग सतर्क हो गया है।
वन विभाग को आशंका है कि ये हाथी कटक जिले के आठगढ़ की ओर चले गए हैं। वन अधिकारियों को डर है कि हाथियों के झुंड से फसलों और इंसानों को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए इन हाथियों की मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है।
भोजन की तलाश में निकले चंदका के DFO (Divisional Forest Officer) विनोद आचार्य के मुताबिक 43 हाथियों के झुंड में से 22 कहीं निकल गए हैं। उन्हें आठगढ़ के जंगलों के आसपास देखा गया है। विनोद आचार्य की मानें तो हाथी साल में एक या दो बार आठगढ़ की ओर बढ़ते हैं। वे भोजन की तलाश में महानदी पार करते हैं। इस बार भी ऐसा ही है। लेकिन इस बार एक हथिनी झुंड से अलग हो गई है। वो चंदका वाइल्डलाइफ सेंचुरी की रेंज में ही घूम रही है। वन विभाग की नजरें उसके व्यवहार पर है ताकि उससे इंसानों या फसलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे।
जंगल कम होने से बढ़ी समस्या डिविजनल वन अधिकारी का यह भी कहना है कि इंसानी इलाकों में हाथियों के आने की घटनाएं कम हुई हैं। चंदका 193 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और 40 फीसदी से ज्यादा बांस के जंगल हैं। ऐसे में हाथियों के लिए खाने की कोई समस्या नहीं है। हालांकि भोजन की तलाश में अक्सर हाथी दूसरे जंगलों में भी जाते रहते हैं। चंदका में हाथियों की आबादी भी बढ़ी है। हर साल 4 से 5 बच्चे पैदा हो रहे हैं। पिछले साल मई में 45 हाथियों की गिनती हुई थी, जिनमें 27 मादा और 4 बच्चे थे।
वाइल्डलाइफ एक्सर्प्ट बिस्वजीत मोहंती का मानना है कि हाथियों का प्राकृतिक आवास कम होने की वजह से ऐसा हो रहा है। ये हाथी सुकासिनी रिजर्व फॉरेस्ट में जा सकते हैं। कुछ दिनों में वहां से लौट सकते हैं। बस यह सुनिश्चित करना होगा कि लोग उन्हें परेशान न करें। सुकासिनी रिजर्व फॉरेस्ट में बहुत ज्यादा विकास होने से हाथियों का प्राकृतिक आवास कम हुआ है। इसलि झुंड वहां ज्यादा दिन नहीं रहेगा और लौट आएगा।
वन विभाग को आशंका है कि ये हाथी कटक जिले के आठगढ़ की ओर चले गए हैं। वन अधिकारियों को डर है कि हाथियों के झुंड से फसलों और इंसानों को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए इन हाथियों की मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है।
भोजन की तलाश में निकले चंदका के DFO (Divisional Forest Officer) विनोद आचार्य के मुताबिक 43 हाथियों के झुंड में से 22 कहीं निकल गए हैं। उन्हें आठगढ़ के जंगलों के आसपास देखा गया है। विनोद आचार्य की मानें तो हाथी साल में एक या दो बार आठगढ़ की ओर बढ़ते हैं। वे भोजन की तलाश में महानदी पार करते हैं। इस बार भी ऐसा ही है। लेकिन इस बार एक हथिनी झुंड से अलग हो गई है। वो चंदका वाइल्डलाइफ सेंचुरी की रेंज में ही घूम रही है। वन विभाग की नजरें उसके व्यवहार पर है ताकि उससे इंसानों या फसलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे।

जंगल कम होने से बढ़ी समस्या डिविजनल वन अधिकारी का यह भी कहना है कि इंसानी इलाकों में हाथियों के आने की घटनाएं कम हुई हैं। चंदका 193 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और 40 फीसदी से ज्यादा बांस के जंगल हैं। ऐसे में हाथियों के लिए खाने की कोई समस्या नहीं है। हालांकि भोजन की तलाश में अक्सर हाथी दूसरे जंगलों में भी जाते रहते हैं। चंदका में हाथियों की आबादी भी बढ़ी है। हर साल 4 से 5 बच्चे पैदा हो रहे हैं। पिछले साल मई में 45 हाथियों की गिनती हुई थी, जिनमें 27 मादा और 4 बच्चे थे।
वाइल्डलाइफ एक्सर्प्ट बिस्वजीत मोहंती का मानना है कि हाथियों का प्राकृतिक आवास कम होने की वजह से ऐसा हो रहा है। ये हाथी सुकासिनी रिजर्व फॉरेस्ट में जा सकते हैं। कुछ दिनों में वहां से लौट सकते हैं। बस यह सुनिश्चित करना होगा कि लोग उन्हें परेशान न करें। सुकासिनी रिजर्व फॉरेस्ट में बहुत ज्यादा विकास होने से हाथियों का प्राकृतिक आवास कम हुआ है। इसलि झुंड वहां ज्यादा दिन नहीं रहेगा और लौट आएगा।
You may also like
`आ` गया पानी से चलने वाला Bajaj Chetak Hydrogen Scooter, 1 लीटर में दौड़ेगा 280Km, महज 20000 में बना सकते है अपना…
हरिद्वार में तिलक सेवा, स्वर्ण मंदिर में लंगर…राजस्थान से भागी लड़की की अनसुनी दास्तान सुनकर उड़ जाएंगे होश
'सरकार के मुंह पर तमाचा...' SI भर्ती रद्द होने पर सचिन पायलट की भजनलाल सरकार को खरी-खरी, जाने क्या बोले पूर्व डिप्टी सीएम
महाभारत के श्राप: कैसे इन अभिशापों ने बदल दी इतिहास की धारा?
क्रिकेट` में ही नहीं बिजनेस में भी माहिर हैं ये 5 क्रिकेटर इन बड़ी हस्ती का नाम है शामिल