रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के दौरान रायपुर के एक निजी विद्यालय के सभागार से शुरू हुआ विधानसभा का सफर 25 साल बाद 52 एकड़ में फैले विशाल भवन तक पहुंच गया। नई विधानसभा का उद्घाटन शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया पीएम मोदी ने इस दौरान विधानसभा के नए भवन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का अनावरण भी किया।
52 एकड़ में फैला है परिसर
अधिकारियों ने बताया कि नया रायपुर, अटल नगर में मंत्रालय के करीब निर्मित विधानसभा भवन अपनी शानदार, आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल इमारत के लिए जाना जाएगा। 52 एकड़ में फैली और 324 करोड़ रुपये की लागत से बना नया विधानसभा भवन सिर्फ एक इमारत नहीं है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान और प्रगतिशील भावना का प्रतीक है। पारंपरिक कला और आधुनिक इंजीनियरिंग के मिश्रण के रूप में तैयार की गई यह संरचना परंपरा और नवोन्मेष से भरपूर है।
दिन में नहीं होगा अंधेरा
नए विधानसभा भवन के वास्तुविद संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि विधानसभा भवन का निर्माण वर्तमान और भविष्य की सुविधाओं को ध्यान में रखकर किया गया है। विधानसभा भवन का निर्माण ऐसा किया गया है कि कभी यहां दिन में बिजली बंद होने पर अंधेरा नहीं होगा तथा प्राकृतिक रौशनी यहां हमेशा रहेगी। उन्होंने बताया कि सदन में बने गलियारों का निर्माण करने के दौरान ध्यान रखा गया है कि उनके किसी भी कोने से सदन की कार्यवाही को देखा जा सकता है और यदि सदन का विस्तार करने की भविष्य में जरूरत होगी तो बगैर किसी तोड़फोड़ के आसानी से इसका विस्तार किया जा सकेगा।
धान के बालियों को उकेरा गया है
श्रीवास्तव ने बताया कि ‘धान का कटोरा’ के नाम प्रख्यात छत्तीसगढ़ में विधानसभा भवन की छत पर धान की बालियों और पत्तियों को उकेरा गया है। यहां के ज्यादातर दरवाजे और फर्नीचर बस्तर के काष्ठ शिल्पियों द्वारा बनाए गए हैं। विधानसभा का नया भवन आधुनिकता और परंपरा का संगम है।
राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि नए विधानसभा भवन को वर्तमान और भविष्य की जरूरत के हिसाब से बनाया गया है। आधुनिक, सर्वसुविधायुक्त, सुसज्जित सदन को 200 सदस्यों के बैठने के लिए विस्तारित किया जा सकता है। भविष्य में कागजरहित विधानसभा संचालित हो सके, इसके लिए जरुरी व्यवस्थाओं और प्रौद्योगिकी का समावेश किया गया है।
तीन हिस्से में तैयार हुआ है विधानसभा
अधिकारियों ने कहा- विधानसभा भवन को तीन हिस्सों में बनाया गया है। ‘विंग-ए’ में विधानसभा का सचिवालय है, ‘विंग-बी’ में सदन, सेंट्रल हॉल, मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष का कार्यालय है। ‘विंग-सी’ में सभी मंत्रियों के कार्यालय बने हुए हैं। आधुनिकतम सुविधाओं से लैस यह भवन ऊर्जा-कुशल और हरित निर्माण प्रौद्योगिकी से बना है। सौर संयंत्र के साथ ही वर्षा जल के संचयन के लिए दो सरोवर भी बनाए जा रहे हैं।
आकांक्षाओं में खरा उतरेगा
अधिकारियों ने बताया कि विधानसभा भवन में 500 दर्शक क्षमता का आधुनिक ऑडिटोरियम और 100 लोगों के बैठने की क्षमता वाला सेंट्रल हॉल भी है। पूरे भवन की वास्तुकला को आधुनिक और पारंपरिक शैलियों का मिला-जुला रूप दिया गया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और शिल्प से सजे-संवरे विधानसभा के इस नए भवन में राज्य के तीन करोड़ लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को आकार मिलेगा।
कॉलेज में हुआ था पहले सत्र का आयोजन
छत्तीसगढ़ के एक नवंबर, 2000 को अस्तित्व में आने के साथ ही राज्य विधानसभा का भी गठन हुआ। छत्तीसगढ़ की प्रथम विधान सभा में 91 सदस्य थे, जिनमें से 90 जनता द्वारा निर्वाचित तथा एक नामांकित सदस्य (एंग्लो इंडियन समुदाय) थे। छत्तीसगढ़ विधानसभा का पहला सत्र रायपुर के राजकुमार कॉलेज (एक निजी स्कूल) के जशपुर हॉल में हुआ था। बाद में विधानसभा को राजधानी के बाहरी इलाके में रायपुर-बलौदाबाजार मार्ग पर एक नयी बनी सरकारी भवन में स्थानांतरित कर दिया गया था।
52 एकड़ में फैला है परिसर
अधिकारियों ने बताया कि नया रायपुर, अटल नगर में मंत्रालय के करीब निर्मित विधानसभा भवन अपनी शानदार, आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल इमारत के लिए जाना जाएगा। 52 एकड़ में फैली और 324 करोड़ रुपये की लागत से बना नया विधानसभा भवन सिर्फ एक इमारत नहीं है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान और प्रगतिशील भावना का प्रतीक है। पारंपरिक कला और आधुनिक इंजीनियरिंग के मिश्रण के रूप में तैयार की गई यह संरचना परंपरा और नवोन्मेष से भरपूर है।
दिन में नहीं होगा अंधेरा
नए विधानसभा भवन के वास्तुविद संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि विधानसभा भवन का निर्माण वर्तमान और भविष्य की सुविधाओं को ध्यान में रखकर किया गया है। विधानसभा भवन का निर्माण ऐसा किया गया है कि कभी यहां दिन में बिजली बंद होने पर अंधेरा नहीं होगा तथा प्राकृतिक रौशनी यहां हमेशा रहेगी। उन्होंने बताया कि सदन में बने गलियारों का निर्माण करने के दौरान ध्यान रखा गया है कि उनके किसी भी कोने से सदन की कार्यवाही को देखा जा सकता है और यदि सदन का विस्तार करने की भविष्य में जरूरत होगी तो बगैर किसी तोड़फोड़ के आसानी से इसका विस्तार किया जा सकेगा।
धान के बालियों को उकेरा गया है
श्रीवास्तव ने बताया कि ‘धान का कटोरा’ के नाम प्रख्यात छत्तीसगढ़ में विधानसभा भवन की छत पर धान की बालियों और पत्तियों को उकेरा गया है। यहां के ज्यादातर दरवाजे और फर्नीचर बस्तर के काष्ठ शिल्पियों द्वारा बनाए गए हैं। विधानसभा का नया भवन आधुनिकता और परंपरा का संगम है।
राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि नए विधानसभा भवन को वर्तमान और भविष्य की जरूरत के हिसाब से बनाया गया है। आधुनिक, सर्वसुविधायुक्त, सुसज्जित सदन को 200 सदस्यों के बैठने के लिए विस्तारित किया जा सकता है। भविष्य में कागजरहित विधानसभा संचालित हो सके, इसके लिए जरुरी व्यवस्थाओं और प्रौद्योगिकी का समावेश किया गया है।
तीन हिस्से में तैयार हुआ है विधानसभा
अधिकारियों ने कहा- विधानसभा भवन को तीन हिस्सों में बनाया गया है। ‘विंग-ए’ में विधानसभा का सचिवालय है, ‘विंग-बी’ में सदन, सेंट्रल हॉल, मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष का कार्यालय है। ‘विंग-सी’ में सभी मंत्रियों के कार्यालय बने हुए हैं। आधुनिकतम सुविधाओं से लैस यह भवन ऊर्जा-कुशल और हरित निर्माण प्रौद्योगिकी से बना है। सौर संयंत्र के साथ ही वर्षा जल के संचयन के लिए दो सरोवर भी बनाए जा रहे हैं।
आकांक्षाओं में खरा उतरेगा
अधिकारियों ने बताया कि विधानसभा भवन में 500 दर्शक क्षमता का आधुनिक ऑडिटोरियम और 100 लोगों के बैठने की क्षमता वाला सेंट्रल हॉल भी है। पूरे भवन की वास्तुकला को आधुनिक और पारंपरिक शैलियों का मिला-जुला रूप दिया गया है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और शिल्प से सजे-संवरे विधानसभा के इस नए भवन में राज्य के तीन करोड़ लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को आकार मिलेगा।
कॉलेज में हुआ था पहले सत्र का आयोजन
छत्तीसगढ़ के एक नवंबर, 2000 को अस्तित्व में आने के साथ ही राज्य विधानसभा का भी गठन हुआ। छत्तीसगढ़ की प्रथम विधान सभा में 91 सदस्य थे, जिनमें से 90 जनता द्वारा निर्वाचित तथा एक नामांकित सदस्य (एंग्लो इंडियन समुदाय) थे। छत्तीसगढ़ विधानसभा का पहला सत्र रायपुर के राजकुमार कॉलेज (एक निजी स्कूल) के जशपुर हॉल में हुआ था। बाद में विधानसभा को राजधानी के बाहरी इलाके में रायपुर-बलौदाबाजार मार्ग पर एक नयी बनी सरकारी भवन में स्थानांतरित कर दिया गया था।
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