आगरा: दुनिया भर में चमड़े के फुटवियर के लिए प्रसिद्ध आगरा अब सिंथेटिक और पॉलीयूरेथेन (पीयू) मटेरियल से बने जूतों की नई पहचान बना रहा है। शहर में चल रहे मीट एट आगरा ट्रेड फेयर में इस बार देश-विदेश से आए उद्यमियों ने ऐसे फुटवियर प्रदर्शित किए हैं, जो 60 डिग्री सेल्सियस तापमान तक में पैरों को ठंडक और सुरक्षा प्रदान करते हैं। दुनिया भर में 90 प्रतिशत लोग सिंथेटिक और पीयू से बने जूते-चप्पल ही पसंद कर रहे हैं।
सींगना स्थित प्रदर्शनी स्थल पर 253 कंपनियों के स्टॉल लगे हैं। इनमें पीयू बेस्ड जूतों की खूब चर्चा हो रही है। दिल्ली से आए जूता उद्यमी अनिल कुमार सौंधी ने दावा किया है। पॉलीयूरेथेन (पीयू) मटेरियल से बने जूते न केवल हल्के और आरामदायक हैं, बल्कि इनकी लाइफ भी तीन साल से अधिक है। इनका मटेरियल गर्मी, नमी और घिसावट के प्रभाव से जल्दी खराब नहीं होता है। पीयू से बने जूते तीन साल तक चलते हैं। उन्होंने बताया कि पीयू का मल्टीपल उपयोग किया जा रहा है। इससे जूते, चप्पल, जैकेट, वॉल कवरिंग, सीट कवर, बैग समेत सजावट के सामान भी बन रहे हैं।
चमड़े से 50 प्रतिशत सस्ता मटेरियल
फुटवियर एवं चमड़ा उद्योग विकास परिषद के अध्यक्ष पूरन डाबर ने बताया कि पॉलीयूरेथेन (पीयू) मटेरियल से बने सोल्स पारंपरिक चमड़े या रबर की तुलना में ज्यादा मजबूत और लचीले होते हैं। ये तापमान में बदलाव के बावजूद अपने आकार और मजबूती को बनाए रखते हैं। इसके अलावा चमड़े की तुलना में ये 50 प्रतिशत सस्ता मटेरियल होता है। इनसे बने उत्पाद आकर्षक और किफायती रहते हैं।
शामिल हुए 2871 उद्यमी
पूरन डाबर ने बताया कि मीट एट आगरा के ट्रेड फेयर में 2871 उद्यमी शामिल हुए हैं। 5254 लोगों ने सींगना स्थित ट्रेड फेयर का भ्रमण किया है। शू इंडस्ट्री के लिए स्टडी करने वाले 840 छात्रों ने उद्यमियों से जानकारियां हासिल की हैं। उन्होंने बताया कि देश-विदेश में आगरा का जूता कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। इसको और गुणवत्तापरक बनाने के लिए सरकार को टेस्टिंग लैब और डिजाइजिंग इंस्टीट्यूट बनाने की जरूरत है।
सींगना स्थित प्रदर्शनी स्थल पर 253 कंपनियों के स्टॉल लगे हैं। इनमें पीयू बेस्ड जूतों की खूब चर्चा हो रही है। दिल्ली से आए जूता उद्यमी अनिल कुमार सौंधी ने दावा किया है। पॉलीयूरेथेन (पीयू) मटेरियल से बने जूते न केवल हल्के और आरामदायक हैं, बल्कि इनकी लाइफ भी तीन साल से अधिक है। इनका मटेरियल गर्मी, नमी और घिसावट के प्रभाव से जल्दी खराब नहीं होता है। पीयू से बने जूते तीन साल तक चलते हैं। उन्होंने बताया कि पीयू का मल्टीपल उपयोग किया जा रहा है। इससे जूते, चप्पल, जैकेट, वॉल कवरिंग, सीट कवर, बैग समेत सजावट के सामान भी बन रहे हैं।
चमड़े से 50 प्रतिशत सस्ता मटेरियल
फुटवियर एवं चमड़ा उद्योग विकास परिषद के अध्यक्ष पूरन डाबर ने बताया कि पॉलीयूरेथेन (पीयू) मटेरियल से बने सोल्स पारंपरिक चमड़े या रबर की तुलना में ज्यादा मजबूत और लचीले होते हैं। ये तापमान में बदलाव के बावजूद अपने आकार और मजबूती को बनाए रखते हैं। इसके अलावा चमड़े की तुलना में ये 50 प्रतिशत सस्ता मटेरियल होता है। इनसे बने उत्पाद आकर्षक और किफायती रहते हैं।
शामिल हुए 2871 उद्यमी
पूरन डाबर ने बताया कि मीट एट आगरा के ट्रेड फेयर में 2871 उद्यमी शामिल हुए हैं। 5254 लोगों ने सींगना स्थित ट्रेड फेयर का भ्रमण किया है। शू इंडस्ट्री के लिए स्टडी करने वाले 840 छात्रों ने उद्यमियों से जानकारियां हासिल की हैं। उन्होंने बताया कि देश-विदेश में आगरा का जूता कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। इसको और गुणवत्तापरक बनाने के लिए सरकार को टेस्टिंग लैब और डिजाइजिंग इंस्टीट्यूट बनाने की जरूरत है।
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