कोलकाता : पश्चिम बंगाल में एसआईआर (SIR) की प्रक्रिया शुरू होते ही राजनीति में उफान आ गया है। एक ओर ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी इसके विरोध में सड़क पर उतर आए हैं, दूसरी ओर आम लोग 2002 की वोटर लिस्ट तलाश में आपाधापी मची है। जब से चुनाव आयोग ने 2002 की वोटर लिस्ट का पीडीएफ अपलोड किया है, तब से कई बार वेबसाइट ध्वस्त हो चुका है। वोटरों की मदद के लिए चुनाव आयोग ने हेल्पलाइन (1800-11-1950) शुरू की है, जिस पर भी वेटिंग लिस्ट लंबी बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि सबसे ज्यादा मुर्शिदाबाद में इस लिस्ट की तलाश हो रही है, जहां साल 2000 से हर पांच साल में औसतन दो लाख से अधिक वोटरों की बढ़ोतरी हुई है।
क्यों हो रही है 2002 की वोटर लिस्ट की तलाश
मतदान विशेष पुनर्निरीक्षण अभियान (SIR) के तहत पश्चिम बंगाल में 80,681 बीएलओ ने वोटरों का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया है। चुनाव आयोग के नए नियमों के मुताबिक, जिन वोटरों या उनके माता-पिता के नाम 2002 की वोटर लिस्ट में हैं, उन्हें मतदाता बनने के लिए नए सिरे से शामिल होने के लिए चुनाव कार्यालय में कोई नया दस्तावेज़ जमा नहीं करना होगा। इसके बाद से 23 साल पुरानी वोटर लिस्ट बेशकीमती हो गई है। रिपोर्टस के मुताबिक, 2002 में बंगाल में लगभग 4.58 करोड़ वोटर थे। अभी मतदाताओं की संख्या 7.62 करोड़ हो गई है। पिछले दो दशक में जुड़े वोटरों के सामने अपनी पहचान साबित करने की चुनौती बनी है। वोटर पुरानी लिस्ट में अपने बाप-दादा का नाम तलाश रहे हैं।
क्या हो रही है 23 साल पुरानी लिस्ट में दिक्कत
पश्चिम बंगाल में एसआईआर की प्रक्रिया दो दशक बाद शुरू हुई है, मगर इस बीच राज्य में दो बार परिसीमन हो गया। 2008 और 2015 में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के भूगोल में बदलाव हो गया। पोलिंग बूथ भी बदल गए। इस कारण नए कई लोगों की विधानसभा ही बदल गई। इसके अलावा अन्य कारणों से लाखों लोग एक जगह से दूसरी जिलों में शिफ्ट हुए। ऐसे वोटर भी अपने पैतृक गांव या पुराने जिले की लिस्ट खंगाल रहे हैं। रिपोर्टस के मुताबिक, 2025 की मतदाता सूची में शामिल कुल मतदाताओं में से सिर्फ 32.06 प्रतिशत नाम ही 2002 की लिस्ट से मेल खाते हैं।
करीब 5 करोड़ नाम पुरानी लिस्ट में नहीं
पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के कार्यालय के अनुसार, वोटरों की वर्तमान लिस्ट में कुल 7,66,37,529 नाम हैं। मगर इनमें से 2,45,71,114 नाम ही 2002 की वोटर लिस्ट में मिले हैं। दक्षिण कोलकाता में 35 फीसदी, हावड़ा में 38 और पश्चिम बर्दवान में 31 फीसदी वोटर ऐसे हैं, जिनके नाम 2002 वाली लिस्ट में है।
बांग्लादेश से सटे मालदा जैसे जिलों में 54 फीसदी, दक्षिण 24 परगना में 45 फीसदी और उत्तर 24 परगना में 41 प्रतिशत वोटरों के नाम 2002 की पुरानी लिस्ट में भी मिल गए। उत्तर बंगाल के कूचबिहार में 48, अलीपुरद्वार में 54, उत्तर दिनाजपुर में 44 और दक्षिण दिनाजपुर में 55 मिलान हुआ। दक्षिण बंगाल के जिलों में बीरभूम में 53, हुगली में 56 और झारग्राम में 51 मिलान दर्ज किया गया। जिन जिलों में नाम मिलान की दर बहुत अधिक रही, उनमें बांकुरा (79), पुरबा बर्दवान (73), कालिम्पोंग (65) और पुरुलिया (63) शामिल हैं।
क्यों हो रही है 2002 की वोटर लिस्ट की तलाश
मतदान विशेष पुनर्निरीक्षण अभियान (SIR) के तहत पश्चिम बंगाल में 80,681 बीएलओ ने वोटरों का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया है। चुनाव आयोग के नए नियमों के मुताबिक, जिन वोटरों या उनके माता-पिता के नाम 2002 की वोटर लिस्ट में हैं, उन्हें मतदाता बनने के लिए नए सिरे से शामिल होने के लिए चुनाव कार्यालय में कोई नया दस्तावेज़ जमा नहीं करना होगा। इसके बाद से 23 साल पुरानी वोटर लिस्ट बेशकीमती हो गई है। रिपोर्टस के मुताबिक, 2002 में बंगाल में लगभग 4.58 करोड़ वोटर थे। अभी मतदाताओं की संख्या 7.62 करोड़ हो गई है। पिछले दो दशक में जुड़े वोटरों के सामने अपनी पहचान साबित करने की चुनौती बनी है। वोटर पुरानी लिस्ट में अपने बाप-दादा का नाम तलाश रहे हैं।
क्या हो रही है 23 साल पुरानी लिस्ट में दिक्कत
पश्चिम बंगाल में एसआईआर की प्रक्रिया दो दशक बाद शुरू हुई है, मगर इस बीच राज्य में दो बार परिसीमन हो गया। 2008 और 2015 में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के भूगोल में बदलाव हो गया। पोलिंग बूथ भी बदल गए। इस कारण नए कई लोगों की विधानसभा ही बदल गई। इसके अलावा अन्य कारणों से लाखों लोग एक जगह से दूसरी जिलों में शिफ्ट हुए। ऐसे वोटर भी अपने पैतृक गांव या पुराने जिले की लिस्ट खंगाल रहे हैं। रिपोर्टस के मुताबिक, 2025 की मतदाता सूची में शामिल कुल मतदाताओं में से सिर्फ 32.06 प्रतिशत नाम ही 2002 की लिस्ट से मेल खाते हैं।
करीब 5 करोड़ नाम पुरानी लिस्ट में नहीं
पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के कार्यालय के अनुसार, वोटरों की वर्तमान लिस्ट में कुल 7,66,37,529 नाम हैं। मगर इनमें से 2,45,71,114 नाम ही 2002 की वोटर लिस्ट में मिले हैं। दक्षिण कोलकाता में 35 फीसदी, हावड़ा में 38 और पश्चिम बर्दवान में 31 फीसदी वोटर ऐसे हैं, जिनके नाम 2002 वाली लिस्ट में है।
बांग्लादेश से सटे मालदा जैसे जिलों में 54 फीसदी, दक्षिण 24 परगना में 45 फीसदी और उत्तर 24 परगना में 41 प्रतिशत वोटरों के नाम 2002 की पुरानी लिस्ट में भी मिल गए। उत्तर बंगाल के कूचबिहार में 48, अलीपुरद्वार में 54, उत्तर दिनाजपुर में 44 और दक्षिण दिनाजपुर में 55 मिलान हुआ। दक्षिण बंगाल के जिलों में बीरभूम में 53, हुगली में 56 और झारग्राम में 51 मिलान दर्ज किया गया। जिन जिलों में नाम मिलान की दर बहुत अधिक रही, उनमें बांकुरा (79), पुरबा बर्दवान (73), कालिम्पोंग (65) और पुरुलिया (63) शामिल हैं।
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