Sun Transit 2025 : आज सूर्य गुरु के नक्षत्र में प्रवेश करने जा रहे हैं। सूर्य गुरु के नक्षत्र विशाखा में प्रवेश करेंगे और इस समय चंद्रमा कृतिका नक्षत्र में रहेंगे। जिससे पद्मक योग बनेगा। ज्योतिष शास्त्र में पद्मक योग को बहुत ही शुभ योग माना गया है। 6 नवंबर के दिन यह बेहद ही शुभ पद्मक योग का निर्माण हुआ है। आइए जानते हैं पद्म योग का बारे में विस्तार से।
क्या है पद्मक योग ?कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन यानी 6 नवंबर को सूर्य के विशाखा नक्षत्र में दोपहर 2 बजकर 51 मिनट पर सूर्य विशाखा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। जिससे पद्म योग का निर्माण होगा। आज शाम में प्रदोषकाल तक इसका विशेष माहात्म्य रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में किसी भी तीर्थस्थल, विशेष रुप से तीर्थराज पुष्कर (राजस्थान) में इस योग में स्नान-दान-स्तोत्र का पाठ का विशेष माहातम्य माना जाता है। पद्म पुराण में भी इस योग के बारे में जिक्र किया गया है। पद्म पुराण में लिखा गया है विशाखासु यदा भानुः कृतिकासु च चन्द्रमा । स योगः पद्मको, नाम पुष्करे स्वाति दुर्लभः ।।
सूर्य स्वाति नक्षत्र से निकलकर विशाखा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो पद्मक योग बनता है।
पद्मक योग के दौरान क्या करेंइस योग में सूर्य-स्तोत्र, गुरु-स्तोत्र, सूर्य गायत्री, गुरु गायत्री मंत्रों का पाठ और दोनों ग्रहों संबंधी अपनी शक्ति के अनुसार, दान, जप तथा कृतिका स्वामी (विश्वस्वामी सूर्य) के दर्शन किए जाएं तो ब्राह्मण सात जन्म तक वेद-परायण और धनाढ्य होता है।
पद्मक योग के लाभ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह योग व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति कराता है। साथ ही इश दौरान किए गए दान पुण्य और धार्मिक कार्यों से सालभर के दौरान अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही इसके प्रभाव से धन धान्य में वृद्धि होती है। इसलिए इस दौरान जो भी काम आप करते हैं उसमें भी भाग्य का पूरा साथ मिलता है। जिससे आप आसानी से कार्यों में सफल हो जाते हैं।
क्या है पद्मक योग ?कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन यानी 6 नवंबर को सूर्य के विशाखा नक्षत्र में दोपहर 2 बजकर 51 मिनट पर सूर्य विशाखा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। जिससे पद्म योग का निर्माण होगा। आज शाम में प्रदोषकाल तक इसका विशेष माहात्म्य रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में किसी भी तीर्थस्थल, विशेष रुप से तीर्थराज पुष्कर (राजस्थान) में इस योग में स्नान-दान-स्तोत्र का पाठ का विशेष माहातम्य माना जाता है। पद्म पुराण में भी इस योग के बारे में जिक्र किया गया है। पद्म पुराण में लिखा गया है विशाखासु यदा भानुः कृतिकासु च चन्द्रमा । स योगः पद्मको, नाम पुष्करे स्वाति दुर्लभः ।।
सूर्य स्वाति नक्षत्र से निकलकर विशाखा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो पद्मक योग बनता है।
पद्मक योग के दौरान क्या करेंइस योग में सूर्य-स्तोत्र, गुरु-स्तोत्र, सूर्य गायत्री, गुरु गायत्री मंत्रों का पाठ और दोनों ग्रहों संबंधी अपनी शक्ति के अनुसार, दान, जप तथा कृतिका स्वामी (विश्वस्वामी सूर्य) के दर्शन किए जाएं तो ब्राह्मण सात जन्म तक वेद-परायण और धनाढ्य होता है।
पद्मक योग के लाभ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह योग व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति कराता है। साथ ही इश दौरान किए गए दान पुण्य और धार्मिक कार्यों से सालभर के दौरान अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही इसके प्रभाव से धन धान्य में वृद्धि होती है। इसलिए इस दौरान जो भी काम आप करते हैं उसमें भी भाग्य का पूरा साथ मिलता है। जिससे आप आसानी से कार्यों में सफल हो जाते हैं।
You may also like

'नजर आ रही लहर', बिहार चुनाव के पहले फेज में भारी वोटिंग से पीएम मोदी गदगद

ऐश्वर्या शर्मा और नील भट्ट का हो रहा तलाक! शादी के 4 साल बाद कोर्ट में दी अर्जी, ऐसी है लव स्टोरी

नंदी केˈ कान में ऐसे बोलनी चाहिए अपनी मनोकामना जान लें सही तरीका तभी मिलेगा फल﹒

अनुष्का शर्मा की फ्लॉप फिल्मों की कहानी

रोहिणी व्रत 2025: पति की लंबी उम्र और सुख-शांति के लिए महत्वपूर्ण पूजा




