नई दिल्ली: जब गोलियों की आवाज कान चीर रही थी और रात के अंधेरे में मोर्टार की दहलती रोशनी हर तरफ छाई थी, वहां बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) की असिस्टेंट कमांडेंट नेहा भंडारी ने न सिर्फ मोर्चा संभाला, बल्कि जवानों की अगुवाई भी की। साहस, नेतृत्व और दृढ़ निश्चय से दुश्मन को बता दिया कि भारत की तरफ बुरी नजर डालने का क्या नतीजा होता है। 2022 में BSF में शामिल हुईं नेहानेहा भंडारी साल 2022 में BSF में शामिल हुईं और तीन साल में ही उन्हें वह मौका मिल गया, जो हर सैनिक का सपना होता है, जिसके लिए सैनिक शपथ लेता है और यूनिफॉर्म पहनता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नेहा जम्मू के अखनूर सेक्टर में इंटरनैशनल बॉर्डर पर तैनात थीं। हालात बेहद तनावपूर्ण थे। पाकिस्तान की ओर से लगातार फायरिंग, ड्रोन हमले और 82 एमएम और 120 एमएम के मोर्टार दागे जा रहे थे। लेकिन कंपनी कमांडर नेहा ने अपनी कंपनी की कमान मजबूती से संभाली और आगे मोर्चे पर डटी रहीं। नेहा की कंपनी (बटालियन) में महिला जवान भी हैं। नेहा ने कहा कि जब गोलियां चल रही थीं और गोलाबारी हो रही थी, तब भी हमारी बटालियन की महिलाएं फायरिंग लाइन पर थीं। पूरी बटालियन एक साथ दुश्मन को जवाब दे रही थी, हमारी ट्रेनिंग ने हमें इस पल के लिए तैयार किया था।उन्होंने बताया कि 10 मई की सुबह और शाम को पाकिस्तान की तरफ से स्मॉल आर्म फायरिंग हुई, लेकिन इससे पहले 6 मई की रात से ही भारी हथियारों का इस्तेमाल हो रहा था। हर रात गोलियों की आवाज से पूरा इलाका गूंजता रहा। ऐसे में नेहा ने न सिर्फ जवाबी कार्रवाई सुनिश्चित की, बल्कि अपनी बटालियन की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा। बॉर्डर पर रहती हैं अलर्टनेहा कहती हैं, ‘जब 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, तब यह तय था कि सरकार कोई बड़ी कार्रवाई करेगी। हम इंटरनैशनल बॉर्डर पर हमेशा अलर्ट रहते हैं। BSF फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस है और हमारी जिम्मेदारी है कि किसी भी कीमत पर घुसपैठ या कोई भी गैरकानूनी हरकत न होने दें।’ ऑपरेशन सिंदूर के वक्त 24 घंटे फॉरवर्ड पोजिशन पर तैनातीजब ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ, तब जवान 24 घंटे से भी ज्यादा वक्त तक बिना रुके फॉरवर्ड पोजिशन पर तैनात रहे। खुले इलाकों में मूवमेंट संभव नहीं था क्योंकि कभी भी कहीं से भी फायरिंग हो रही थी। नेहा ने कहा कि हमने दुश्मन को सिर्फ जवाब नहीं दिया, हमने यह भी सुनिश्चित किया कि हमारे जवान जवाबी कार्रवाई करते हुए सुरक्षित रहें, साथ ही जवाबी कार्रवाई ऐसी हो कि दुश्मन को हावी होने का मौका न मिले।नेहा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की रहने वाली हैं। उन्होंने बताया कि उनके दादा आर्मी में थे, माता-पिता दोनों CRPF में हैं। वह गर्व से कहती हैं, ‘तीसरी पीढ़ी की सोल्जर हूं। यूनिफॉर्म से बचपन से लगाव था, अब गर्व भी जुड़ गया है।’ फोर्स जॉइन करने की चाहत रखने वाली देश की बेटियों के लिए नेहा कहती हैं कि अगर आप फोर्स जॉइन करना चाहती हैं तो सबसे पहले ये सोचना बंद कर दें कि आप लड़की हैं। आप एक सैनिक हैं और सैनिक की कोई सीमा, कोई बहाना नहीं होता। ट्रेनिंग, ड्यूटी और साहस सब बराबर होता है। खुद को कम मत समझो। खुद पर भरोसा करोगे तो देश भी तुम पर भरोसा करेगा।
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