नई दिल्ली : रक्षा मंत्री 12वीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक - प्लस ( ADMM-Plus ) में हिस्सा लेने के लिए मलेशिया में हैं। इस दौरान एक अहम डेवलपमेंट में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके अमेरिकी समकक्ष पीट हेगसेथ ने एक नया 10-साल का डिफेंस फ्रेमवर्क एग्रीमेंट साइन किया है। इससे, दोनों देशों के बीच स्ट्रेटेजिक और सिक्योरिटी कोऑपरेशन मजबूत होगा। नया भारत-अमेरिका रक्षा फ्रेमवर्क समझौता रणनीतिक लॉजिस्टिक्स, जॉइंट प्रोडक्शन और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को अपने मुख्य स्तंभों के रूप में शामिल करता है।   
   
एक-दूसरे के बेस, लॉजिस्टिक्स का इस्तेमाल
माना जा रहा है कि यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समझौता सैन्य इंटरऑपरेबिलिटी को गहरा करेगा। इससे एक-दूसरे के बेस, लॉजिस्टिक्स और रखरखाव सुविधाओं का आसानी से इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह समझौता भारत के स्वदेशी रक्षा उत्पादन और आधुनिकीकरण के लिए महत्वपूर्ण एडवांस डिफेंस टेक्नोलॉजी तक लंबे समय तक पहुंच भी सुनिश्चित करता है। यह इंडो-पैसिफिक सुरक्षा ढांचे को मजबूत करता है, जो दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में चीन की आक्रामकता के खिलाफ एक एकजुट मोर्चा दिखाता है।
   
   
डिफेंस एक्सपोर्ट, इनोवेशन इकोसिस्टम को बढ़ावा
इसके अलावा, यह ड्रोन और AI-बेस्ड वॉरफेयर में जॉइंट रिसर्च, डेवलपमेंट और नेक्स्ट-जेनरेशन प्रोजेक्ट्स के जरिए भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट और इनोवेशन इकोसिस्टम को भी बढ़ावा देता है। यह डील ASEAN सिक्योरिटी फ्रेमवर्क के अंदर भारत की भूमिका को और बढ़ाती है। इससे यह एक रीजनल स्टेबलाइजर और मैरीटाइम कोऑपरेशन के लिए एक पसंदीदा पार्टनर बन जाता है। खास बात यह है कि सिंह और हेगसेथ पहली बार आमने-सामने मिले हैं। सिंह इस महीने की शुरुआत में वाशिंगटन जाने वाले थे, लेकिन US द्वारा लगाए गए टैरिफ की वजह से हुए तनाव के कारण यह दौरा कैंसिल हो गया था।
    
   
मलेशिया के रक्षा मंत्री से मुलाकात
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कुआलालंपुर में सिंगापुर के रक्षा मंत्री चान चुन सिंग के साथ भी एक द्विपक्षीय बैठक की। यह बैठक भारत के प्रमुख साझेदारों के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने के मकसद से की गई थी। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग में लगातार बनी हुई तेजी की तारीफ की।
   
इसके सभी पहलुओं पर आपसी फायदे वाली पार्टनरशिप को और आगे बढ़ाने की अपनी कमिटमेंट को दोहराया। उन्होंने चल रहे रक्षा मुद्दों और बनी हुई चुनौतियों का रिव्यू किया और चल रहे रक्षा उद्योग और टेक्नोलॉजी सहयोग पर चर्चा की।
   
  
एक-दूसरे के बेस, लॉजिस्टिक्स का इस्तेमाल
माना जा रहा है कि यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समझौता सैन्य इंटरऑपरेबिलिटी को गहरा करेगा। इससे एक-दूसरे के बेस, लॉजिस्टिक्स और रखरखाव सुविधाओं का आसानी से इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह समझौता भारत के स्वदेशी रक्षा उत्पादन और आधुनिकीकरण के लिए महत्वपूर्ण एडवांस डिफेंस टेक्नोलॉजी तक लंबे समय तक पहुंच भी सुनिश्चित करता है। यह इंडो-पैसिफिक सुरक्षा ढांचे को मजबूत करता है, जो दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में चीन की आक्रामकता के खिलाफ एक एकजुट मोर्चा दिखाता है।
Had a fruitful meeting with my US counterpart @SecWar Peter Hegseth in Kuala Lumpur. We signed the 10 years ‘Framework for the US-India Major Defence Partnership’. This will usher in a new era in our already strong defence partnership.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) October 31, 2025
This Defence Framework will provide policy… pic.twitter.com/IEP6Udg9Iw
डिफेंस एक्सपोर्ट, इनोवेशन इकोसिस्टम को बढ़ावा
इसके अलावा, यह ड्रोन और AI-बेस्ड वॉरफेयर में जॉइंट रिसर्च, डेवलपमेंट और नेक्स्ट-जेनरेशन प्रोजेक्ट्स के जरिए भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट और इनोवेशन इकोसिस्टम को भी बढ़ावा देता है। यह डील ASEAN सिक्योरिटी फ्रेमवर्क के अंदर भारत की भूमिका को और बढ़ाती है। इससे यह एक रीजनल स्टेबलाइजर और मैरीटाइम कोऑपरेशन के लिए एक पसंदीदा पार्टनर बन जाता है। खास बात यह है कि सिंह और हेगसेथ पहली बार आमने-सामने मिले हैं। सिंह इस महीने की शुरुआत में वाशिंगटन जाने वाले थे, लेकिन US द्वारा लगाए गए टैरिफ की वजह से हुए तनाव के कारण यह दौरा कैंसिल हो गया था।
मलेशिया के रक्षा मंत्री से मुलाकात
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कुआलालंपुर में सिंगापुर के रक्षा मंत्री चान चुन सिंग के साथ भी एक द्विपक्षीय बैठक की। यह बैठक भारत के प्रमुख साझेदारों के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने के मकसद से की गई थी। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग में लगातार बनी हुई तेजी की तारीफ की।
इसके सभी पहलुओं पर आपसी फायदे वाली पार्टनरशिप को और आगे बढ़ाने की अपनी कमिटमेंट को दोहराया। उन्होंने चल रहे रक्षा मुद्दों और बनी हुई चुनौतियों का रिव्यू किया और चल रहे रक्षा उद्योग और टेक्नोलॉजी सहयोग पर चर्चा की।
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