मुंबई: महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने केंद्रीय    चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। इस पत्र में आग्रह किया गया है कि स्थानीय निकाय चुनावों के लिए उपयोग की जा रही 1 जुलाई की मतदाता सूची में 15 अक्टूबर तक नाम जोड़ने और हटाने की अनुमति दी जाए। आयोग ने कहा है कि नए आवेदनों को पूरक मतदाता सूची के रूप में शामिल किया जा सकता है, जबकि 1 जुलाई की कटऑफ तिथि को यथावत रखा जाएगा। यह पत्र दो सप्ताह पहले लिखा गया था, लेकिन अब तक ईसी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में डुप्लीकेट नामों की भरमार का आरोप लगाते हुए वोट चोरी का मुद्दा उठाया है। विपक्ष ने यह भी मांग की है कि मतदाता सूची के लिए कटऑफ तारीख 7 नवंबर तक बढ़ाई जाए ताकि फर्जी नामों को हटाने और वास्तविक मतदाताओं को जोड़ने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।   
   
   
चुनाव की तारीखें घोषित नहीं
राज्य चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, पूरक सूची की मांग इसलिए की गई है क्योंकि 1 जुलाई की कटऑफ और स्थानीय निकाय चुनावों की घोषणा के बीच काफी लंबा अंतराल है। अब तक चुनाव की तारीखें घोषित नहीं की गई हैं, ऐसे में आयोग चाहता है कि नए पात्र मतदाताओं को भी मतदान का अवसर मिल सके। अधिकारियों का कहना है कि पूरक सूची जोड़ने से चुनाव प्रक्रिया में किसी तरह की देरी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया है कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया 31 जनवरी तक पूरी की जाए।
     
   
कलेक्टरों और संभागीय आयुक्तों को पत्र लिखकर निर्देश दिया
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वार्ड गठन और आरक्षण पहले ही 1 जुलाई की मतदाता सूची और 2011 की जनगणना पर आधारित जनसंख्या अनुमान के अनुसार किया गया है। इसलिए अगर पूरक सूची जोड़ी जाती है, तो इन प्रक्रियाओं को दोबारा करने की आवश्यकता नहीं होगी। राज्य चुनाव आयोग ने सभी जिला कलेक्टरों और संभागीय आयुक्तों को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि वे मतदाता सूची में डुप्लीकेट नामों की जांच और सत्यापन करें। जिला अधिकारियों से कहा गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि समान नामों की प्रविष्टियां वास्तव में अलग-अलग व्यक्तियों की हैं या एक ही व्यक्ति की। यदि किसी मतदाता का नाम दो स्थानों पर पाया जाता है, तो उनसे संपर्क कर यह पूछा जाएगा कि वह किस वार्ड से मतदान करना चाहते हैं। उस वार्ड में उन्हें मतदान की अनुमति दी जाएगी, जबकि बाकी वार्डों में उनका नाम डुप्लीकेट मतदाता के रूप में दर्ज किया जाएगा।
     
   
विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा
अगर जिला अधिकारी ऐसे मतदाता से संपर्क नहीं कर पाते हैं, तो उसका नाम डुप्लीकेट सूची में डाल दिया जाएगा। ऐसे मतदाता को तभी वोट देने की अनुमति मिलेगी जब वह एक हलफनामा देगा कि उसने किसी अन्य वार्ड से मतदान नहीं किया है। साथ ही, उसकी पहचान की पूरी तरह से जांच की जाएगी। चुनाव अधिकारियों ने बताया कि मतदाता सूची को पारदर्शी और त्रुटिहीन बनाने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा है, जो दोहरी प्रविष्टियों और फर्जी नामों की पहचान करने में मदद करेगा। आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया फर्जी मतदान और वोट चोरी जैसे आरोपों को रोकने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
   
   
   
  
चुनाव की तारीखें घोषित नहीं
राज्य चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, पूरक सूची की मांग इसलिए की गई है क्योंकि 1 जुलाई की कटऑफ और स्थानीय निकाय चुनावों की घोषणा के बीच काफी लंबा अंतराल है। अब तक चुनाव की तारीखें घोषित नहीं की गई हैं, ऐसे में आयोग चाहता है कि नए पात्र मतदाताओं को भी मतदान का अवसर मिल सके। अधिकारियों का कहना है कि पूरक सूची जोड़ने से चुनाव प्रक्रिया में किसी तरह की देरी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया है कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया 31 जनवरी तक पूरी की जाए।
कलेक्टरों और संभागीय आयुक्तों को पत्र लिखकर निर्देश दिया
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वार्ड गठन और आरक्षण पहले ही 1 जुलाई की मतदाता सूची और 2011 की जनगणना पर आधारित जनसंख्या अनुमान के अनुसार किया गया है। इसलिए अगर पूरक सूची जोड़ी जाती है, तो इन प्रक्रियाओं को दोबारा करने की आवश्यकता नहीं होगी। राज्य चुनाव आयोग ने सभी जिला कलेक्टरों और संभागीय आयुक्तों को पत्र लिखकर निर्देश दिया है कि वे मतदाता सूची में डुप्लीकेट नामों की जांच और सत्यापन करें। जिला अधिकारियों से कहा गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि समान नामों की प्रविष्टियां वास्तव में अलग-अलग व्यक्तियों की हैं या एक ही व्यक्ति की। यदि किसी मतदाता का नाम दो स्थानों पर पाया जाता है, तो उनसे संपर्क कर यह पूछा जाएगा कि वह किस वार्ड से मतदान करना चाहते हैं। उस वार्ड में उन्हें मतदान की अनुमति दी जाएगी, जबकि बाकी वार्डों में उनका नाम डुप्लीकेट मतदाता के रूप में दर्ज किया जाएगा।
विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा
अगर जिला अधिकारी ऐसे मतदाता से संपर्क नहीं कर पाते हैं, तो उसका नाम डुप्लीकेट सूची में डाल दिया जाएगा। ऐसे मतदाता को तभी वोट देने की अनुमति मिलेगी जब वह एक हलफनामा देगा कि उसने किसी अन्य वार्ड से मतदान नहीं किया है। साथ ही, उसकी पहचान की पूरी तरह से जांच की जाएगी। चुनाव अधिकारियों ने बताया कि मतदाता सूची को पारदर्शी और त्रुटिहीन बनाने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जा रहा है, जो दोहरी प्रविष्टियों और फर्जी नामों की पहचान करने में मदद करेगा। आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया फर्जी मतदान और वोट चोरी जैसे आरोपों को रोकने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
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