काबुल: अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने भारतीयों और दुनिया भर के हिंदुओं को दीपावली की शुभकामनाएं दी हैं। इसके साथ ही उन्होंने भारत के लिए एक चेतावनी भी दी है। अमरुल्लाह सालेह अफगान तालिबान और पाकिस्तान की सेना के जेहादी एजेंडे के कट्टर आलोचक हैं। अगस्त 2021 में काबुल पर तालिबान के कब्जे के समय तत्कालीन अशरफ गनी सरकार में उप राष्ट्रपति की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। बाद में उन्होंने तालिबान के विरोधी धड़े वाले विद्रोही नेता अहमद मसूद से हाथ मिला लिया था।
देवबंद मदरसे को लेकर सतर्क रहने को कहा
सालेह ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'सभी भारतीयों और दुनिया भर के हिंदुओं को दिवाली की शुभकामनाएं! आप सभी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं। इस बीच कृपया देवबंद मदरसे का ध्यान रखें।' सालेह की टिप्पणी को इसी महीने अफगानिस्तान पर शासन करने वाले तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की भारत यात्रा से जोड़कर देखा जा रहा है। भारत यात्रा के दौरान मुत्तकी ने दारुल उलूम देवबंद मदरसे का दौरा किया था।
मुत्तकी को देवबंद जाने की अनुमति देने के भारत सरकार के फैसले को लड़कियों की शिक्षा पर दिल्ली की ओर से महीन संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है। हालांकि, दारुल उलूम देवबंद लड़कों और लड़कियों के क्लास में अलग बैठने की वकालत करता है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से इसने लड़कियों के शिक्षा के अधिकार का समर्थन किया है। यह रुख तालिबान के लड़कियों की शिक्षा पर सख्त पाबंदी के बिल्कुल खिलाफ है।
तालिबान का देवबंद कनेक्शन
तालिबान में दारुल उलूम देवबंद को इज्जत की नजर से देखा जाता है। तालिबान के अधिकांश नेता पाकिस्तान के अकोरा खट्टक स्थित दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे से शिक्षित हैं। यह मदरसा सुन्नी इस्लाम के हनफी देवबंदी स्कूल का प्रचार करता है। हक्कानिया मदरसे की स्थापना मौलाना अब्दुल हक ने की थी, जिन्होंने दारुल उलूम देवबंद से शिक्षा हासिल की थी। उनके बेटे मौलाना समी उल हक को तालिबान का पितामह कहा जाता है।
देवबंद मदरसे को लेकर सतर्क रहने को कहा
सालेह ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'सभी भारतीयों और दुनिया भर के हिंदुओं को दिवाली की शुभकामनाएं! आप सभी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं। इस बीच कृपया देवबंद मदरसे का ध्यान रखें।' सालेह की टिप्पणी को इसी महीने अफगानिस्तान पर शासन करने वाले तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की भारत यात्रा से जोड़कर देखा जा रहा है। भारत यात्रा के दौरान मुत्तकी ने दारुल उलूम देवबंद मदरसे का दौरा किया था।
मुत्तकी को देवबंद जाने की अनुमति देने के भारत सरकार के फैसले को लड़कियों की शिक्षा पर दिल्ली की ओर से महीन संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है। हालांकि, दारुल उलूम देवबंद लड़कों और लड़कियों के क्लास में अलग बैठने की वकालत करता है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से इसने लड़कियों के शिक्षा के अधिकार का समर्थन किया है। यह रुख तालिबान के लड़कियों की शिक्षा पर सख्त पाबंदी के बिल्कुल खिलाफ है।
तालिबान का देवबंद कनेक्शन
तालिबान में दारुल उलूम देवबंद को इज्जत की नजर से देखा जाता है। तालिबान के अधिकांश नेता पाकिस्तान के अकोरा खट्टक स्थित दारुल उलूम हक्कानिया मदरसे से शिक्षित हैं। यह मदरसा सुन्नी इस्लाम के हनफी देवबंदी स्कूल का प्रचार करता है। हक्कानिया मदरसे की स्थापना मौलाना अब्दुल हक ने की थी, जिन्होंने दारुल उलूम देवबंद से शिक्षा हासिल की थी। उनके बेटे मौलाना समी उल हक को तालिबान का पितामह कहा जाता है।
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