ज्योतिष: सनातन धर्म में भगवान शिव को संहारक देवता माना जाता है। इन्हें भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है, जो उनकी सरलता को दर्शाता है, लेकिन उनका क्रोध भी प्रसिद्ध है। भगवान शिव को महाकाल और देवों के देव महादेव के रूप में भी पूजा जाता है।
कहा जाता है कि भगवान शिव अपने भक्तों के प्रति अत्यंत दयालु हैं। जो लोग सच्चे मन से उनकी भक्ति करते हैं, उनकी सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। सोमवार का दिन भगवान शिव के लिए विशेष माना जाता है, और इस दिन हम आपको उनके कुछ रहस्यों के बारे में बताएंगे, जो बहुत कम लोग जानते हैं। यह भी कहा जाता है कि सनातन धर्म के त्रिदेवों में भगवान विष्णु को राजा, भगवान शिव को मंत्री और भगवान ब्रह्मा को पुरोहित माना गया है।
भगवान शिव के रहस्यमय प्रतीक
भगवान शिव का स्वरूप अन्य देवताओं से भिन्न है। जबकि अन्य देवी-देवता आभूषण और वस्त्र पहनते हैं, भोलेनाथ केवल भस्म लगाते हैं और गले में सर्प धारण करते हैं। इसका क्या कारण है? आइए जानते हैं भगवान शिव से जुड़े इन रहस्यों के बारे में।
शरीर पर भस्म लगाने का रहस्य: पुराणों में कहा गया है कि भगवान शिव को किसी भी भौतिक वस्तु का आकर्षण नहीं होता। उनके लिए यह संसार और मोह-माया सब कुछ राख के समान है। भस्म का प्रतीक उनके वैराग्य और ज्ञान की ओर इशारा करता है।
तांडव नृत्य का रहस्य: महादेव के तांडव के बारे में आपने सुना होगा। यह शिव के क्रोध का प्रतीक है, लेकिन इसके दो रूप हैं। रौद्र तांडव प्रलयकारी क्रोध को दर्शाता है, जबकि आनंद तांडव सृष्टि के निर्माण का प्रतीक है।
भगवान शिव के गले में सर्प और माथे पर चंद्रमा
गले में सर्प का रहस्य: भगवान शिव के गले में लिपटा सर्प वासुकी है, जो नागलोक का राजा है और शिव का परम भक्त माना जाता है।
माथे पर चंद्रमा का रहस्य: भगवान शिव के माथे पर चंद्रमा विराजमान है। कहा जाता है कि चंद्रमा ने भगवान शिव की आराधना की थी, जिससे शिव ने उसे अपने सिर पर धारण कर लिया। चंद्रमा के घटने-बढ़ने का कारण महाराजा दक्ष का श्राप माना जाता है।
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