राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ किला न सिर्फ अपनी ऐतिहासिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसे भारत का सबसे भूतिया और श्रापित किला भी माना जाता है। सदियों से यहाँ आने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग इसे लेकर आश्चर्य और डर के मिश्रित भाव रखते हैं। कहा जाता है कि इस किले पर एक तांत्रिक का भयानक श्राप सदियों से मंडरा रहा है, जो यहाँ आने वालों की तकदीर और जीवन को प्रभावित करता है।
भानगढ़ किले की स्थापना 1573 में राजा भान सिंह ने की थी। किले का वास्तु और बनावट भव्य होने के साथ-साथ रहस्यमय भी है। यहाँ पर कई मंदिर, हवेलियाँ और गढ़ की संरचनाएँ हैं, जो आज भी वीरान अवस्था में खड़ी हैं। लेकिन किले की खासियत इसके श्राप और भूत-प्रेत वाली कहानियों में है। स्थानीय लोग और पुरानी कथाएँ इस बात की गवाही देती हैं कि एक तांत्रिक ने किले और उसके निवासियों पर अभिशाप दिया था, जो आज भी यहाँ मौजूद है।
कहानी के अनुसार, यह तांत्रिक किले में एक शक्तिशाली स्त्री के प्रेम में था। जब उसे उसका प्रेम निष्फल मिला, तो उसने किले और उसके निवासियों पर अभिशाप दिया। कहा जाता है कि इस श्राप के चलते किले में रात के समय अजीब आवाजें, हवाओं का डरावना शोर और अंधाधुंध घटनाएँ होती हैं। यह श्राप इतना प्रबल है कि रात के समय किले में किसी का भी ठहरना संभव नहीं माना जाता। कई पर्यटक और शोधकर्ता भी यहाँ रात बिताने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने रहस्यमय घटनाओं की रिपोर्ट दी है।
भानगढ़ का श्राप और स्थानीय मान्यता
स्थानीय लोग मानते हैं कि किले के अंदर रात के समय प्रवेश करना पूर्णतया वर्जित है। राज्य सरकार ने भी इसके लिए सख्त नियम बनाए हैं। यहाँ आने वाले पर्यटकों को सुबह तक किले के बाहर रहना होता है। कहा जाता है कि इस तांत्रिक श्राप के कारण कई लोग किले में रात बिताने के बाद बीमार हो जाते हैं या अचानक अस्वस्थ महसूस करते हैं।इसके अलावा, भानगढ़ की कहानियों में यह भी उल्लेख मिलता है कि श्राप सिर्फ स्थानीय लोगों तक ही सीमित नहीं है। जो भी व्यक्ति यहाँ रात में प्रवेश करता है, उसे डरावनी घटनाओं का सामना करना पड़ता है। विशेषज्ञ इसे मानसिक और आध्यात्मिक अनुभवों का मिश्रण मानते हैं, जबकि स्थानीय लोग इसे तांत्रिक शक्ति और श्राप का प्रत्यक्ष प्रमाण मानते हैं।
क्या भानगढ़ से मुक्ति संभव है?
सवाल उठता है कि क्या इस तांत्रिक श्राप से कभी मुक्ति मिल सकती है? धार्मिक विशेषज्ञों और पंडितों का मानना है कि श्राप को तोड़ना कठिन है, लेकिन कुछ पूजा, हवन और तांत्रिक उपाय इसे कमजोर कर सकते हैं। कहा जाता है कि यदि किसी योग्य साधु या ब्राह्मण द्वारा यहाँ विशेष मंत्रों और यज्ञ का आयोजन किया जाए, तो इस श्राप की शक्ति कम हो सकती है।
हालांकि, विज्ञान और इतिहास के दृष्टिकोण से यह कहानी स्थानीय लोककथाओं और लोगों के अनुभवों का परिणाम भी हो सकती है। किले की वीरानी, पुराने मंदिरों और खंडहरों का वातावरण लोगों में भय पैदा करता है, जिसे अक्सर भूत-प्रेत और श्राप की कहानियों से जोड़ा जाता है।
भानगढ़ की ख्याति और पर्यटन
इसके बावजूद, भानगढ़ किला आज भी राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल है। लोग इतिहास, वास्तुकला और रहस्यमय कथाओं के लिए यहाँ आते हैं। रात के समय तो प्रवेश वर्जित है, लेकिन दिन के दौरान किले का दौरा करना एक अद्भुत अनुभव माना जाता है। कई विदेशी और भारतीय शोधकर्ता भी भानगढ़ की पुरानी कथाओं और श्रापों पर अध्ययन कर चुके हैं।
कहानी चाहे कितनी भी डरावनी क्यों न हो, भानगढ़ किला राजस्थान के इतिहास और लोककथाओं का अनमोल हिस्सा है। तांत्रिक का श्राप और उसके प्रभाव की कहानियाँ यहाँ आने वाले लोगों को हमेशा मोहित करती हैं। कई लोग मानते हैं कि यदि किले में श्रद्धा और सावधानी से प्रवेश किया जाए, तो डरावनी घटनाओं का सामना नहीं करना पड़ता।
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