गणेश चतुर्थी का त्योहार एक बार फिर महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव को सुर्खियों में ले आया है। सांगली जिले के गोटखिंडी गांव की एक मस्जिद में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित की जाती है, और इस उत्सव में न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी दिल से हिस्सा लेते हैं। यह अनोखा दृश्य देखकर हर कोई हैरान रह जाता है।
मुस्लिम समुदाय का गणेश उत्सव में योगदानआपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस गांव के मुस्लिम समुदाय के लोग गणपति की मूर्ति स्थापना से लेकर पूजा-पाठ और प्रसाद बनाने तक हर काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यह कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह परंपरा वर्ष 1980 से चली आ रही है। इस उत्सव में गणेश जी की मूर्ति मस्जिद के अंदर स्थापित की जाती है, और मुस्लिम भाई-बहन पूजा और तैयारियों में पूरी शिद्दत से जुट जाते हैं।
प्रसाद बनाने से लेकर पूजा तक, सबमें साथ‘न्यू गणेश तरुण मंडल’ के संस्थापक अशोक पाटिल ने एक इंटरव्यू में बताया कि इस गांव में देश के बाकी हिस्सों में होने वाले धार्मिक तनाव का कोई असर नहीं पड़ता। करीब 15,000 की आबादी वाले इस गांव में 100 मुस्लिम परिवार रहते हैं, जो इस मंडल के सक्रिय सदस्य हैं। वे प्रसाद तैयार करने, पूजा-अर्चना करने और उत्सव की अन्य तैयारियों में खुलकर मदद करते हैं।
कैसे शुरू हुई यह अनोखी परंपरा?मंडल के अध्यक्ष इलाही पठान ने बताया कि हिंदू और मुस्लिम समुदाय हर साल गणेशोत्सव को बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाते हैं। इस परंपरा की शुरुआत 1961 में हुई थी, जब भारी बारिश के कारण स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने अपने हिंदू पड़ोसियों को गणेश प्रतिमा मस्जिद के अंदर स्थापित करने का न्योता दिया था। तब से यह परंपरा शांति और सौहार्द के साथ चल रही है, जिसमें मुस्लिम समुदाय की सक्रिय भागीदारी बनी हुई है।
चार दशकों से कायम है यह रिवाजअशोक पाटिल ने एक मराठी न्यूज चैनल को बताया कि कुछ सालों तक यह उत्सव रुका रहा, लेकिन 1980 में ‘न्यू गणेश मंडल’ के गठन के बाद से यह परंपरा फिर से शुरू हुई और अब तक 45 सालों से मस्जिद में गणपति की मूर्ति स्थापित की जा रही है। यह सौहार्द और एकता की मिसाल आज भी कायम है।
10 दिन तक मस्जिद में विराजते हैं गणपति#This_is_our_incredible_India ❤️
— bisu (@BisuBisu489768) September 18, 2024
For the past 44 years, Ganesh Utsav has been organized in this mosque in Zunjar Square in Gotkhindi of Sangli district in Maharashtra. It is managed by New Ganesh Mandal. People of all religions come to see this special event of Lord Ganesha...❤️ pic.twitter.com/lp5Tfi45HT
इस 10 दिन के उत्सव के दौरान गणपति की मूर्ति मस्जिद में रखी जाती है। अनंत चतुर्दशी के दिन उत्सव का समापन होता है, और मूर्ति को स्थानीय जलाशय में विसर्जित किया जाता है। यह परंपरा न केवल धार्मिक एकता को दर्शाती है, बल्कि सामाजिक सौहार्द की एक मिसाल भी पेश करती है।
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