मुरादाबाद के पूर्व सपा सांसद डॉ. एसटी हसन ने राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिसने एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने साफ कहा कि मुसलमानों के लिए अल्लाह के अलावा किसी और की इबादत करना मंजूर नहीं है, इसलिए वे वंदे मातरम् नहीं गाएंगे। इस बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। आइए जानते हैं, क्या है पूरा मामला और क्यों छिड़ा ये नया विवाद।
वंदे मातरम् पर पुराना विवाद फिर ताजा
हसन ने मुरादाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वंदे मातरम् को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है। ये बहस सौ साल से ज्यादा पुरानी है। लेकिन सवाल ये है कि जब बिहार में चुनाव का माहौल गर्म है, तब इस मुद्दे को फिर से क्यों उठाया जा रहा है? पूर्व सांसद ने सवाल उठाते हुए कहा कि देश में हिंदू-मुस्लिम की सियासत कौन कर रहा है, ये सबको पता है। उन्होंने सरकार से अपील की कि अब इस तरह की सियासत से बाज आना चाहिए।
“मुसलमान सिर्फ अल्लाह की इबादत करता है”
एसटी हसन ने अपने बयान में कहा, “मुसलमान सिर्फ अल्लाह की इबादत करता है। ये बात साफ है कि हम अल्लाह के सिवा किसी और की पूजा नहीं कर सकते।” उन्होंने आगे कहा कि ऐसा नहीं है कि मुसलमानों में देशभक्ति की कमी है। वे अपनी मातृभूमि के लिए जान देने को तैयार हैं, लेकिन पूजा सिर्फ अल्लाह की ही करेंगे। हसन के मुताबिक, वंदे मातरम् में जमीन की पूजा की बात है, जबकि मुसलमान केवल उसी की इबादत करता है जिसने इस दुनिया को बनाया। उन्होंने कहा, “वंदे मातरम् गाना हमारे लिए मुमकिन नहीं, क्योंकि ये जमीन की पूजा है।”
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